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ग़ज़ल -- "इसके आगे बस ख़ुदा का नाम है" / दिनेश कुमार

2122--2122--212

भाग्य तेरे कर्म का परिणाम है
तुझ पे ही निर्भर तेरा अंजाम है

मेरे हमराही को भी ठोकर लगी
मेरे दिल को अब ज़रा आराम है

सिर्फ़ सच की राह पर चलता हूँ मैं
आबला-पाई मेरा इनआ'म है

उसकी मर्ज़ी है अता कुछ भी करे
बस दुआ करना हमारा काम है

शख़्सियत अपनी निखारो मुफ़्त में
मुस्कुराहट का न कोई दाम है

हम फ़क़ीरों की नज़र से देखिये
जिस्म इक मन्दिर है पावन धाम है

हम यथा सम्भव मदद सब की करें
आदमीयत का यही पैग़ाम है

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 28, 2017 at 10:33pm

बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है आ दिनेश कुमार जी | बधाई हो |आदरणीय समर साहिब की बात पर  गौर करें |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 28, 2017 at 7:13pm

बहुत सुंदर हार्दिक बधाई ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 28, 2017 at 6:25pm

जनाब दिनेश कुमार साहिब ,सुन्दर ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 27, 2017 at 8:47pm

बहुतखूब बहुतखूब आदरणीय बेहतरीन ग़ज़ल

Comment by Mahendra Kumar on December 27, 2017 at 10:44am

बढ़िया ग़ज़ल है आ. दिनेश जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Samar kabeer on December 26, 2017 at 9:17pm

गिरह चस्पां नहीं हुई दिनेश जी ।

Comment by दिनेश कुमार on December 26, 2017 at 6:44pm

आपकी मुहब्बतों को तहे दिल से पुर-ख़ुलूस सलाम आ. समर साहब। इनायत है आपकी। सेहतमंद रहें।

Comment by दिनेश कुमार on December 26, 2017 at 6:42pm

तहे दिल से शुक्रिया आ. सुरेंद्र नाथ जी। इनायत।

Comment by दिनेश कुमार on December 26, 2017 at 6:39pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. राम अवध जी। मेहरबानी आपकी। 

Comment by दिनेश कुमार on December 26, 2017 at 6:38pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. अजय तिवारी साहब। नज़रे-इनायत है आपकी।

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