For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शज़र जब सूख जाता है कोई पत्ता नहीं रहता (तरही ग़ज़ल 'राज')

1222  1222  1222  1222

 मुख़ालिफ़ होअगर मौसम तो कुछ अच्छा नहीं रहता 
बदलते वक्त में कोई कभी अपना नहीं रहता 


कोई इंसान रिश्तों के बिना जिंदा नहीं रहता 
मुहब्बत के बिना पक्का कोई रिश्ता नहीं रहता


बुजुर्गों को दुखी करने से पहले सोच ये लेना 
शज़र जब सूख जाता है कोई पत्ता नहीं रहता 


जहाँ पर मुफलिसी बच्चों से बचपन छीन लेती है 
किसी बच्चे के दिल में भी वहाँ बच्चा नहीं रहता 


ज़रूरत ज़िस्म की जिनको मशीनों सा बना देती 
हया का उनकी आँखों में कोई कतरा नहीं रहता 


न छत पक्की न दीवारें महब्ब्त के घरौंदे की 
ख़ुदा का शुक्र है उसमें ये दिल अपना नहीं रहता 


जहाँ खुशियाँ बरसती हैं पनपते हैं वहीं सपने 
जहाँ आँखें बरसती हैं वहाँ सपना नहीं रहता

मुझे थी जुस्तज़ू जिसकी हुआ अफ़सोस जब देखा
मेरे इस शह्र में भी अब कोई मुझसा नहीं रहता 
-----मौलिक 

Views: 807

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 23, 2018 at 6:24pm

आ. राजेश दी, सादर अभिवादन । सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2018 at 5:29pm

आद० श्याम नारायण आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2018 at 5:28pm

आद० अनीता मौर्या जी आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Shyam Narain Verma on May 21, 2018 at 11:05am
इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए कोटि कोटि बधाई , सादर।
Comment by Anita Maurya on May 21, 2018 at 8:00am

वाह, बहुत खूब...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 20, 2018 at 8:47pm

प्रिय कल्पना भट्ट जी आपका तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 20, 2018 at 8:46pm

मोहतरम जनाब तस्दीक जी आपकी दाद और इस्स्लाह का तहे दिल से स्वागत है मूल पोस्ट में सुधार कर चुकी हूँ इधर भी बाद में कर दूंगी 

आपका दिल से बेहद शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 20, 2018 at 8:44pm

आद० नरेन्द्र सिंह जी आपका तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 20, 2018 at 8:43pm

आद० राज लाली बटाला जी ग़ज़ल पर शिरकत और सुखन नवाज़ी का बेहद शुक्रिया 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 20, 2018 at 7:04pm

अच्छी ग़ज़ल कही है आपने आदरणीया राजेश दी| हार्दिक बधाई|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service