For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी यूँ तो लौट आएगी

पटरी पर

पर याद आएगा सफ़र का

हर मोड़

कुछ गडमड सड़कों के

हिचकोले

कुछ सपाट रस्तों पर बेवजह

फिसलना

और वक्त-बेवक्त तेरा

साथ होना |

याद आएगा  एक पेड़

घना  छाँवदार  

जिसके आसरे एक पौधा

पेड़ बना |

मौसमों की हर तीक्ष्णता का

सह वार  

पौधे को सदा दिया

ओट प्यार  |

निश्चय ही मौसम बदलने से

होगा कुछ अंकुरित  

पर वो रसाल है मेरी जड़ो में

नहीं होगा विस्मृत |

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अमुद्रित )

 

 

 

Views: 674

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on July 17, 2018 at 6:13pm

अंतिम चार पंक्तियाँ कविता का पूरा निचोड़ प्रस्तुत करती हैं.बेहतरीन रचना प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीयय सोमेश सरजी।

Comment by Sushil Sarna on July 17, 2018 at 5:24pm

वाह सोमेश जी बहुत सुंदर प्रस्तुति। निश्चय ही मौसम बदलने से

होगा कुछ अंकुरित

पर वो रसाल है मेरी जड़ो में

नहीं होगा विस्मृत | अति सुंदर भाव हार्दिक बधाई।

Comment by somesh kumar on July 17, 2018 at 8:55am

आदरणीय 

समर कबीर जी 

क्षमाप्रार्थी हूँ की आपके बार-बार आग्रह के बावजूद मंच पर सक्रिय अन्य मित्रों को उनकी रचना पर प्रतिक्रिया नहीं दे पा रहा हूँ |आग्रह है की इस तथ्य को समझें की मंच का हर सदस्य अलग-अलग परिस्थितियों और आयु-वर्ग से सम्बन्ध रखता है और उसकी यह परिस्तिथियाँ उसके पास उपलब्ध समय और उसकी साहित्यिक सक्रियता को भी प्रभावित करती हैं |छोटा बच्चा,घर-परिवार और नौकरी की जिम्मेवारियां मुझे बहुत कम समय देते हैं |

दूसरा कारण है की मेरा रुझान कहानियों(लम्बी कहानियों )की और अधिक है जबकि इस मंच पर सक्रिय मित्र गज़ल,गीत ,कविता और लघुकथा में अधिक सक्रिय है |इसलिए मैं 'प्रतिलिपि" और कहानी डॉट कोम जैसे ऑनलाइन मंचों पर भी पढ़ने-लिखने में समय देता  होता है |

इसलिए कृपया अपने इस छोटे की इस निष्क्रियता को अन्य मित्र उपेक्षा ना समझें और अपना प्रेम और मार्गदर्शन बनाए रखें |

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 16, 2018 at 5:55pm

बहुत सुंदर भाव मन के 

Comment by Mohammed Arif on July 16, 2018 at 4:46pm

सोमेश जी आदाब,

                अच्छी कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बात पर ध्यान दें ।

Comment by Samar kabeer on July 16, 2018 at 4:38pm

जनाब सोमेश कुमार जी आदाब, अच्छी कविता हुई है,उस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

एक निवेदन ये है कि मंच पर आपकी सक्रियत अपनी रचना तक ही सीमित है, दूसरे रचनाकार भी आपकी अमूल्य प्रतिक्रया के हक़दार हैं,उन्हें मायूस न करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

ajay sharma shared a profile on Facebook
44 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service