आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-151
विषय : "पहला प्यार"
आयोजन अवधि- 13 मई 2023, दिन शनिवार से 14 मई 2023, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.
ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन 'घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.
अति आवश्यक सूचना :-
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 13 मई 2023, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालक
ई. गणेश जी बाग़ी
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम परिवार
Tags:
Replies are closed for this discussion.
पहला प्यार
अभी इक पल में गुजरा है नज़र के सामने से जो,
वही गुजरा जमाना था, वही अपना फ़साना था।
कभी वो मुस्कुराते थे, कभी वो खिलखिलाते थे।
कभी जब ओट से दिख जाएं वो पलकें झुकाते थे।
न दिखते तो नज़र इक बांट जोहे अनमनी रहती।
अगर दिख जाएं तो केवल नज़र से गुफ्तगू होती।
बहुत कुछ था भी कहने को, बहुत कुछ था जो सुनना था।
न जाने कौन-सी थी कश्मकश ये होंठ सिल जाते।
न ही कुछ यार कह पाते, न ही कुछ यार सुन पाते।
कि हमने कहना चाहा था मगर कुछ कह नहीं पाए।
कभी आवाज़ देना था, कभी उनको बुलाना था।
दबे अहसास ज़ाहिर कर उन्हें वो सब सुनाना था।
इसी के वासिते करते रहे कितनी मशक्कत हम।
छुपाकर शर्ट में कुछ फूल, चिट्ठी जेब में रखते।
नज़र से सबके छिप उनकी गली में बेवजह फिरते।
कि दरवाजा कभी खिड़की कभी छत ताकते रहते।
कभी कॉपी गणित की मांगने का प्लान कर लेते।
मगर फिर चिलचिलाती धूप में घर लौटकर आते।
खुद अपनी पस्त हिम्मत को कई फिर लानतें भेजें।
उठाकर फूल, चिट्ठी को किताबों में दबा देते।
दिलासा खुद को देते यार सूरज कल भी निकलेगा।
उतारी साईकिल से चैन भी कितनी दफा हमने।
न जाने चिट्ठियां कितनी लिखी पर दे न पाए हम।
हुईं सब जेब की कैदी, फकत बस फड़फड़ाती सी।
इधर तो डाकपेटी हो गई थी जेब भी अपनी।
मगर हिम्मत का क़ासिद बावफा बस अपनी आदत से।
वो इमली बेर चूरन की टपरिया देखते रहते।
किसी उम्मीद में बस, चाट फुलकी खूब खा लेते।
उधारी कर निकल जाते इसी उम्मीद में वो कल…
अगर आए, बहाने से कहीं दीदार हो जाए।
न चिट्ठी दे सके उनको, न उन तक फूल ही पहुंचे।
हुईं बातें जो लफ्जों में, वो थीं दो चार ही बातें,
अलावा इसके फिर बातें हुईं सब आंखों-आंखों में।
हुईं जितनी भी बातें उन दिनों, उन सारी बातों में,
न थी इकरार की बातें, न थी इनकार की बातें।
मगर अब जा के समझे हैं वो पहले प्यार की बातें।
(मौलिक व अप्रकाशित)
आज प्रशंसा जो मिली, अंतस हुआ अशंक।
धन्यवाद ज्ञापित करूँ, आदरणीया प्रियंक।।
आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्र थम प्यार के विविध पहलुओं को उकेरती उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।
इस प्रयास को मान दे, किया खूब उपकार।
धन्यवाद के साथ में, धामी जी आभार।।
बहुत प्यारी रचना हुई है आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी। बधाई स्वीकार करें।
आदरणीया कल्पना, पाकर यह तारीफ।
मिटी हृदय से आज तो, सारी ही तकलीफ।।
कल्पना की कल्पना को देते हो आप शब्द
बाँध देते हो छंदों की डोर में हो जाती हूँ निशब्द |
खूब जियो मेरे भाई हो माँ सरस्वती की पूत
शब्दों का जादू बिखेरते बन गए हो उनके दूत |
एकाएक एक दृष्य देखकर इतने विस्तार से विगत में जाकर अपने पहले प्यार से संबंध स्थापित करना, अद्भुत रहा।
बहुत दिनों के बाद में, सरजी किया प्रयास।
अद्भुत कहना आपका, बाँध रहा कुछ आस।।
विषय देख कर याद से, जागी पहली प्रीत।
बहर थाम कर शब्द में, बदला सुखद अतीत।।
हाथ माथ पर आपका, करता रहूँ प्रयास।
ओबीओ पर हो सतत, अब मेरा अभ्यास।।
वाह छांदिक उत्तर आदरणीय
आयोजन पिछले कई, देख लीजिये आप।
बहुत पुरानी यह प्रथा, ओबीओ की छाप।।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |