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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार का विषय 'अवसर', तो आइए इस विषय के किसी भी पहलू को कलमबंद करके एक प्रभावोत्पादक लघुकथा रचकर इस गोष्ठी को सफल बनाएँ।  
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98
"विषय: "अवसर" 
अवधि : 30-05-2023 से 31-05-2023 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाए इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

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हार्दिक बधाई आदरणीय विभा रानी जी। बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

हार्दिक आभार आदरणीय
सादर प्रणाम

आदाब। विषय 'अवसर' को परिभाषित करती 'अवसरों' के स्वरूप उभारती चिरपरिचित कथानक पर बढ़िया सारगर्भित सकारात्मक  रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव जी।

नारी -जीवन की दुरूहता के दंश से रु -ब - रु कराती रचना।बधाइयां। हां,व्याकरण जनित/टंकण जनित त्रुटियां ध्यान खींचती हैं। सादर।

आदरणीया विभा जी, प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ। 

'कोई अपना! इतने वर्षों तक... '

उपर्युक्त वाक्य के दूसरे भाग का प्रारंभ मगर/ परंतु/ लेकिन आदि से होता तो वाक्य की संप्रेषणीयता बढ़ जाती, ऐसा मुझे प्रतीत हो रहा है। 

बाकी, गुणीजनों के कहे का सम्मान है। 

पुन: हार्दिक बधाइयाँ

जी महोदय Manan Kumar singh जी
व्याकरण जनित/टंकण जनित त्रुटियाँ हैं
हार्दिक धन्यवाद आपका
जी महोदय Saurabh Pandey जी
हार्दिक धन्यवाद आपका
गलतियाँ सुधार ली जायेंगी
अवसर : शुभेक्षु
"आपको सर्वोच्च शैक्षिक डिग्री अनुसन्धान उपाधि प्राप्त किए इतने साल गुजर गये! अब आप नौकरी करना चाहती हैं। आपने अभी तक नौकरी क्यों नहीं कीं?"
"बहुत जगहों पर आवेदन फ़ार्म भरा लेकिन साक्षात्कार के समय छँटनी हो जाती रही।"
"क्यों छँटनी हो जाती रही? आपके पास अनुभव प्रमाण पत्र भी नहीं फिर उम्मीद करती हैं कि हम आपको नौकरी पर रख लें?"
"मेरी कुरूपता सबसे बड़ी बाधा रही मेरी नौकरी में!"
"आप इतनी कुरूप हुईं कैसे?"
"उछाले गये खौलते पानी की राह में मेरा चेहरा आ गया!"
"किसने ऐसा दुःसाहस किया? आपका जीवन नरक•••"
"कोई अपना! परन्तु इतने वर्षों तक ना जाने कितने लिजलिजे ग़लीज़ स्पर्श से बचाव किया।"
"यहाँ आपकी नौकरी पक्की की जाती है।"

विभा रानी श्रीवास्तव
अप्रकाशित अप्रसारित
रचना काल : 31 मई 2023

मेरे सुझाव को स्वीकार कर तदनुरूप रचना में सुधार करने के लिए मैं आपका आभारी हूँ, आदरणीया विभा रानी जी। साथ ही, 'नरक' शब्द के बाद लगातार कुछ बिंदुओं का होना उक्त वाक्य के अधूरा रह जाने का विधा संगत प्रमाण है। हालाँकि मैंने इसे उद्धृत नहीं किया था, लेकिन मेरे मन में यह भी था। 

आपने लघुकथा को हर तरह से तराश दिया है। 

पुन: हार्दिक बधाइयाँ, आदरणीया विभा रानी जी। 

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