For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 165 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | 

इस बार का मिसरा जनाब फ़रहत अब्बास शाह साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

'रास्ता बदलने में देर कितनी लगती है'

फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन
212 1222 212 1222
हजज़ मुरब्बा अश्तर मुज़ाहिफ़
रदीफ़ -में देर कितनी लगती है

क़ाफ़िया:-(अलने की तुक) जलने,पिघलने,ढलने,मलने,मसलने,निकलने आदि ।

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 28 मार्च दिन गुरुवार को हो जाएगी और दिनांक 29 मार्च दिन शुक्रवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 मार्च दिन गुरुवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Facebook

Views: 1707

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें

भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? 

जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

भाई-चारा का सही वज़्न 22 22 है। मैंने मात्रा पतन के साथ 2121 पर बाँधा है। 

आ. अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, ख़ूब ग़ज़ल रही, बधाई आपको। 

आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

212 1222 212 1222

ज़िन्दगी बदलने में देर कितनी लगती है
हादसों को टलने में देर कितनी लगती है

मौज में वो रहता है, और फिर है दिलदार वो
आदमी को ढलने में देर कितनी लगती है

आज़माता ख़ुद को ही ख़ार से उलझता वो 
होश को सँभलने में देर कितनी लगती है

वो वबा न मरता और होंसलों टहलता गर
मौत को दहलने में देर कितनी लगती है

जीस्त आनी जानी है रोज़ लोग मरते हैं
बर्फ़ को पिघलने में देर कितनी लगती है

हमसफ़र चलो 'चेतन' होंसला ज़रूरी पर
ज़िन्दगी बदलने में देर कितनी लगती है

ज़िन्दगी की राहों में मोड़ यूँ बहुत आते
"रास्ता बदलने में देर कितनी लगती है"

मौलिक व अप्रकाशित

आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब।

ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें।

ज़िन्दगी बदलने में देर कितनी लगती है

हादसों को टलने में देर कितनी लगती है

इक दुआ को फलने में देर कितनी लगती है 

हादसों को  टलने  में  देर  कितनी लगती है 

ज़िन्दगी  बदलने में  देर  कितनी  लगती है

मौज में वो रहता है, और फिर है दिलदार× वो

आदमी को ढलने में देर कितनी लगती है

( कृपया उला की बह्र जाँच लें )

आज़माता ख़ुद को ही ख़ार से उलझता वो 

होश को सँभलने में देर कितनी लगती है

( सानी में होश सँभालने की बात है तो     

   उला में उन चीज़ों की बात हो जो

   आदमी के होश छीन लेती हैं, जैसे

दौलत, शराब, इश्क़ का नशा आदि )

वो वबा न मरता और होंसलों टहलता गर

मौत को दहलने में देर कितनी लगती है

( उला का भाव स्पष्ट नहीं हुआ )

ज़ीस्त आनी जानी है रोज़ लोग मरते हैं

बर्फ़ को पिघलने में देर कितनी लगती है

हमसफ़र चलो 'चेतन' हौसला ज़रूरी पर

ज़िन्दगी बदलने में देर कितनी लगती है

हौसला रखो मन में सब्र तुम करो 'चेतन'

       //शुभकामनाएँ//

आदरणीय, अमित जी, आदाब आपने ग़ज़ल तक आकर जो प्रोत्साहन दिया, इसके लिए आपका आभारी हूँ ।
// आज़माता ख़ुद को ही ख़ार से उलझता वो
होश को सँभलने में देर कितनी लगती है  //

आपने रब्त का अभाव बताया, सो इस शेर के ऊला को बदला गया है, कृपया देखें :


जाम-ए- ज़िन्दगी पी हम दर ब दर हुए हैं पर,
होश को सँभलने में देर कितनी लगती है ।

बह्र जाँच लेःं

// मौज में वो रहता है, और फिर है दिलदार x वो
आदमी को ढलने में देर कितनी लगती है //

]

ऊला में संशोधन किया है, देखिएगा :

मौज में वो रहता है और फिर है, ज़िन्दादिल
आदमी को ढलने में देर कितनी लगती है

// वो वबा न मरता और हौसलों टहलता गर
मौत को दहलने में देर कितनी लगती है //

आदरणीय, उपरोक्त से मेरा आशय चट्टान जैसा हौसला
होते मौत की आँखों में आँख डालकर आदमी के फ़ौलादी संकल्प से उसे ही दहला देने से है।

आभार सहित

ठीक है

खुल के जीने का दिल में हौसला अगर हो तो 

मौत   को   दहलने में   देर  कितनी  लगती है

आदरणीय चेतन जी नमस्कार

ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये

अमित जी की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर है

सादर

आदरणीय चेतन जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें

जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी

आ. Chetan Prakash ji, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। सुझावों से निखार जाएगी ग़ज़ल। बधाई। 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई . कान्हा से भक्त की भोली इच्छा की मांग अच्छी लगी , गीत रचना के लिए बधाई |  कुछ…"
19 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी  इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारें"
48 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी इस सुन्दर गजल के लिए बधाई स्वीकार करें सभ्य जगत ही बढ़चढ़ उनको पूज रहाजो…"
56 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"मंगल फान्ट में कुछ समस्या है अतः मोबाइल और फिर फ़ाइल के माध्यम से संक्षिप्त टिप्पणी का प्रयास…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक बार फिर आओ कान्हा =================== एक बार फिर आओ कान्हा, लीला मधुर दिखाओ ना। छोड़ कन्हाई ब्रज…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी देश प्रेम में ओतप्रोत बहुत सुन्दर भावसंपन्न रचना के लिए बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सादर अभिवादन  एक लंबे अर्से बाद आपको पटल पर देखकर बहुत अच्छ लगा। घर…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय प्रतिभा जी , आपने बचपन के दिनों की याद दिला दी , बहुत सुन्दर गीत रचना की है , बधाई आपको "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय चेतन भाई  अच्छी ग़ज़ल हुई है  , बधाई  आपको आख़िरी शेर की मात्रा कृपया …"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  लक्ष्मण  भाई मात्रिक  बहर में बढ़िया ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय सुरेश भाई , माँ  को समर्पित गीत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई …"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई "
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service