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रिश्तों का विशाल रूप, पूर्ण चन्द्र का स्वरूप,

छाँव धूप नूर-ज़ार, प्यार होतीं बेटियाँ।

वंश  के  विराट  वृक्ष के  तने  पे  डाल  और,

पात  संग  फूल सा  शृंगार होतीं बेटियाँ।

बाँधती  दिलों  की  डोर, देखती न ओर छोर,

रेशमी  हिसार  ताबदार  होतीं बेटियाँ।

दो  घरों  के  बीच  एक   सेतु सी कमानदार,

राह  फूल-दार  साज़गार  होतीं बेटियाँ।।

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अशोक रक्ताले ‘फणीन्द्र’

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी 10 hours ago

आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" yesterday

आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey yesterday

शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला है 
फेलुन फेलुन फाइलुन, फेलुन फेलुन फाअ

:-))


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" yesterday

आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख पाता हूँ। शायद यही वज्ह थी कि मैं पढ़ते समय अटक  रहा था।

Comment by Ashok Kumar Raktale yesterday

आदरणीय निलेश जी सादर, प्रस्तुत छंद पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार. होतीं 'हैं' के विलोप के कारण लिखा है. होती लिखने से काश वाला भाव अधिक प्रबल होगा. सादर 

Comment by Ashok Kumar Raktale yesterday

  आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर 

Comment by Ashok Kumar Raktale yesterday

आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर, मेरा तो अनुभव रहा है, यदि कोई आपको रचना के पुनरावलोकन की सलाह दे रहा है तो इससे अच्छा कुछ नहीं है. स्वतः की गलतियाँ स्वतः को आसानी से नहीं दिखती हैं। सादर 

Comment by Ashok Kumar Raktale yesterday

   आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुत छंद पर आपकी सराहना पाकर रचनाकर्म सार्थक हुआ. आपका हृदय से आभार. सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on Wednesday

आ. अशोक जी,

बहुत सुन्दर छन्द हुआ है ...बधाई स्वीकार करें.
एक शंका है...
होतीं बेटियाँ की जगह क्या होती बेटियाँ नहीं होना चाहिए?
होतीं से काश होतीं वाला बाव आता है.
होती definitive लगता है.
सादर  

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on Wednesday

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। उत्तम छंद हुए है। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

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