For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अइसन कब होई , "भोजपुरी धारावाहिक कहानी" "दुसरका कड़ी"

(पहिलका कड़ी) iha dekhi

 

रघुनाथ सिंह अपना दुआर पर चार पाँच आदमी के संगे बाईठल रहूआन चौकी पर एगो प्लेट में बिस्कुट आउर चनाचूर रखल रहुये सब के हाथ में चाय के गिलास रहे ! एक एक कर के बिस्कुट चनाचूर उठावत रहुये लोग बात चित के संगे चाय पिआत रहुये लोग ! तभी उहा प्रकाश के मोटर साईकिल आके रुकुवे ओकरा पीछे देव वर्त सिंह आउर अब्दुल मिया बाईठल रहे लोग एक एक क के उतरुवे लोग तले रघुनाथ सिंह खड़ा होके हाथ जोडले सवागत के मुद्रा में ! '' आवs आवs अब्दुल मियां कईसे रास्ता भूल के आ गईला भाई'' ! अब्दुल मिया हाथ जोड़ के कहलन ''इहा से मिली इहा के हमार दोस्त देव वर्त सिंह जी बानी'' दुनु आदमी एक दुसरे के प्रणाम कईले ! , तले प्रकाश आगे बढ़ के उनकर पाव छू के प्रणाम कईलन ! अब्दुल मिया बोललन ''इ प्रकास बारन इहा के लईका'' तब रघुनाथ बाबु बोललन ''बहुत सुन्दर बैठी लोगिन'' ! जे बैठाल रहे उ खड़ा हो गाइल ! फिर रघुनाथ बाबु आवाज लगवलन ''रामू आउर दू चार गो कुर्सी ले आवा हो'' ! अन्दर से आवाज आइल ''जी मालिक'' , एगो लईका चार गो प्लास्टिक के कुर्सी ले के आइल ! सब कोई बाईठल रघुनाथ बाबु रामू  के आउर चाय लावे के कहलन आउर साथै इहो बोल देहलन की घर में बोल द खाना बनावे के ! तब अब्दुल मिया कहलन ''एकर का जरुरत बा'' , तब रघुनाथ बाबु कहलन ''भाई अभी एक बजे वाला बा हम खाना खायेम आउर शास्त्र इ कहत बा की बिना मेहमान के खिअवले खाईला से पाप लगे ला त हमके पाप के भागीदार मत बनाई'' ! सब कोई हसे लागल , तब देव वर्त बाबु कहलन ''हमनी के आवे के मकसद इ रहल हा की प्रकाश के आलावा हमारा एगो लइकियो बाड़ी उनकर नाम हा सुमन उनकरे खातिर राउर बेटा विजय के हाथ मांगे खातिर आइल बानी'' ! रघुनाथ बाबु मुस्काके कहलन ''विजय राउरे लईका बा कवनो बात ना बाकिर ''.... ! ''बाकिर का रघुनाथ बाबु'' अब्दुल मिया कहलन , तब रघुनाथ बाबु कहलन ''अरे भाई औउसन कवनो बात नइखे राउआ लोग टीपन ले जाई मिलाई ओकरा बाद नु''  ! तब देव वर्त सिंह कहलन ''उ त ठीक बा देन लेन के बात हो जाईत'' ! तपाक से रघुनाथ बाबु बोललन ''ये महराज ये से थोड़े बिगरी राउआ पाहिले गणना मिलाई मनना मिले में देरी ना लागी हमरा लईकी पसंद आ जाई त दहेज कवनो माईने नइखे रखत'' ! तभी एगो मोटर साईकिल आके रुकल , तब रघुनाथ बाबु कहलन ''ली विजय आ गइलन'' तभी विजय के नजर प्रकाश पर पडल ''आरे प्रकाश तू इहा'' ! प्रकाश उनकर से हाथ मिलावालन आउर बोललन ''इहा के हमर बाबु जी बानी इहा के अब्दुल काका'' दुनु आदनी के उ प्रणाम कईलन विजय के देख के देव वर्त बाबु के चेहरा खिल गाइल रहे ! तब रघुनाथ बाबु कहलन ''विजय इहा के तोहरा सादी खातिर आइल बानी'' तब विजय कहलन ''बाबु जी हम  अभी सादी ना करब'' ! एतना सुन के देव वर्त बाबु के चेहरा मुरझा गाइल ...........

.

बाकि अगिला अंक में ,

.

"तिसरका कड़ी" iha dekhi

Views: 1117

Replies to This Discussion

राउर कहानी त रोचक होखल जात बा गुरूजी,बधाई.

dhanyabad sir

aapke kahaani ta lajabab ba auri rochak bhi  ...................badhai swikar karih Atendra ki wori se................

dhanyabad bhai

कहानी के दुसरकियो कड़ी में रोचकता बनल बा. घटना-क्रम में वाक्य कम राखीं. संवादे से ढेर मालुमात होत जाला. ई कहानी कहे के निकहा विधि हऽ.

बहुत बढिया चल रहल बा. बढ़वले जाईं रविबाबू. ... शुभेच्छा.

 

rauaa login ke aasirbad banal rahe bhaiya ihe chahat ba 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service