For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नमस्कार साथियों,

"चित्र से काव्य तक" अंक -८ प्रतियोगिता से संबधित निर्णायकों का निर्णय आपके समक्ष प्रस्तुत करने का समय आ गया है | इस बार भी प्रतियोगिता में निर्णय करना अत्यंत कठिन कार्य था जिसे हमारे निर्णायकों नें अत्यंत परिश्रम से संपन्न किया है जिसके लिए हम उनका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं |

अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि लगातार तीन दिनों तक चली इस प्रतियोगिता के अंतर्गत कुल ८६६ रिप्लाई आयीं हैं जो कि काफी संतोषजनक हैं, इनके अंतर्गत अधिकतर दोहा,  कुंडली, गज़ल, गीत, बरवै, हाइकू, क्षणिकाएं व छंदमुक्त सहित अनेक विधाओं में रचनाएँ प्रस्तुत की गयीं, आदरणीय भाई योगी जी नें अपने शानदार दोहों से इस आयोजन का श्रीगणेश किया जो कि बहुत ही उत्साहवर्धक रहा तदपश्चात् जब उनके दोहों पर आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी नें होहों के माध्यम से ही अपनी प्रतिक्रिया दी तो सम्पूर्ण वातावरण ही छंदमय हो गया फिर तो प्रतिक्रियाओं में दोहों का कुछ ऐसा दौर चला जिसकी मिसाल दे पाना कठिन है| इस प्रतियोगिता में समस्त प्रतिभागियों के मध्य, आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, आदरणीय अविनाश बागडे जी, आदरणीया श्रीमती शन्नो अग्रवाल जी, आदरणीय संजय मिश्र हबीब जी. आदरणीय धर्मेन्द्र शर्मा जी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह,  व आदरणीय गणेश जी बागी जी ने आदि से अंत तक अपनी बेहतरीन टिप्पणियों के माध्यम से सभी प्रतिभागियों व संचालकों में परस्पर संवाद कायम रखा जो कि इस प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए बेहतरीन , टानिक का काम कर रहा था| न केवल यह वरन उन्होंने अपनी प्रतिक्रियाओं में दोहा, कुण्डलिया, कह मुकरी व घनाक्षरी आदि छंदों का खुलकर प्रयोग करके इस प्रतियोगिता को और भी आकर्षक व रुचिकर बना दिया | इस आयोजन में उत्साहवर्धन हेतु आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी  जी, श्री सौरभ पाण्डेय जी,   श्रीमती शन्नो अग्रवाल जी, श्री सतीश मापतपुरी जी आदि नें भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर मात्र उत्साहवर्धन के उद्देश्य से ही अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ पोस्ट कीं जो कि सभी प्रतिभागियों को चित्र की सीमा के अंतर्गत ही अनुशासित सृजन की ओर प्रेरित करती रहीं, साथ-साथ इन सभी नें अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से निष्पक्ष समीक्षा व प्रशंसा भी की जो कि इस प्रतियोगिता की गति को त्वरित करती रही | बंधुओं ! यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अपेक्षित गुणवत्ता की ओर अग्रसर हो गयी है...........

इस यज्ञ में काव्य रूपी आहुतियाँ डालने के लिए सभी ओ बी ओ मित्रों को हृदय से बहुत-बहुत आभार...

प्रतियोगिता का निर्णय कुछ इस प्रकार से है...

 

 

प्रथम स्थान : श्री संजय मिश्र हबीब जी

ग़ज़ल ....

हम मौत को धत्ता बताते आये हैं ।

हम जिंदगी के गीत गाते आये हैं ।1।

 

वो हौसलों के सामने टिक पाये ना,

हम पर्वतों को भी झुकाते आये हैं ।2।

 

अपनी कला के मायने क्या होते हैं,

थमते दिलों को यह बताते आये हैं ।3।

 

यह मौत का गड्ढा नहीं है दोस्तों,

हम तो यहाँ जीवन बिताते आये हैं ।4।

 

जो बल दिया है तालियों ने सच हबीब,

हम जिंदगी को आजमाते आये हैं ।5।

 

द्वितीय स्थान श्रीमती वंदना गुप्ता जी

यूँ ही नहीं कोई मौत के कुएं में सिर पर कफ़न बाँधे उतरता है

ये रोज पैंतरे बदलती ज़िन्दगी

कभी मौत के गले लगती ज़िन्दगी

हर पल करवट बदलती है

कभी साँझ की दस्तक

तो कभी सुबह की ओस सी

कभी जेठ की दोपहरी सी तपती

तो कभी सावन की फुहारों सी पड़ती

ना जाने कितने रंग दिखाती है

और हम रोज इसके हाथों में

कठपुतली बन 

एक नयी जंग के लिए तैयार होते 

संभावनाओं की खेती उपजाते

एक नए द्रव्य का परिमाण तय करते

उम्मीदों के बीजों को बोते 

ज़िन्दगी से लड़ने को 

और हर बाजी जीतने को कटिबद्ध होते

कोशिश करते हैं 

ज़िन्दगी को चुनौती देने की

ये जानते हुए कि 

अगला पल आएगा भी या नहीं

हम सभी मौत के कुएं में 

धीमे -धीमे रफ़्तार पकड़ते हुए 

कब दौड़ने लगते हैं 

एक अंधे सफ़र की ओर

पता भी नहीं चलता

मगर मौत कब जीती है

और ज़िन्दगी कब हारी है

ये जंग तो हर युग में जारी है

फिर चाहे मौत के कुएं में

कोई कितनी भी रफ़्तार से

मोटर साइकिल चला ले

खतरों से खेलना और मौत से जीतना

ज़िन्दगी को बखूबी आ ही जाता है

इंसान जीने का ढंग सीख ही जाता है

तब मौत भी उसकी जीत पर

मुस्काती है , हाथ मिलाती है

जीने के जज्बे को सलाम ठोकती है 

जब उसका भी स्वागत कोई

ज़िन्दगी से बढ़कर करता है

ना ज़िन्दगी से डरता है

ना मौत को रुसवा करता है 

हाँ , ये जज्बा तो सिर्फ 

किसी कर्मठ में ही बसता है 

तब मौत को भी अपने होने पर

फक्र होता है ..........

हाँ , आज किसी जांबाज़ से मिली 

जिसने ना केवल ज़िन्दगी को भरपूर जिया

बल्कि मौत का भी उसी जोशीले अंदाज़ से

स्वागत किया

समान तुला में दोनों को तोला 

 मगर

कभी ना गिला - शिकवा किया 

जानता है वो इस हकीकत को 

यूँ ही नहीं कोई मौत के कुएं में

सिर पर कफ़न बाँधे उतरता है

क्यूँकि तैराक ही सागर पार किया करते हैं 

जो ज़िन्दगी और मौत दोनो से

हँसकर गले मिलते हैं

 

तृतीय स्थान : श्री दिलबाग विर्क जी

कुण्डलिया:

खतरे ही खतरे यहाँ, मिलते हैं हर ओर

करना डटकर सामना, ना पड़ना कमजोर ।

ना पड़ना कमजोर, जूझना तुम हिम्मत से 

खुशियों की सौगात, छीन लेना किस्मत से ।

होता है जो वीर, मौत के मुँह में उतरे 

कामयाब है विर्क, उठाए जिसने खतरे ।

 

प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के उपरोक्त सभी विजेताओं को सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई...

प्रथम व द्वितीय स्थान के उपरोक्त दोनों विजेता आगामी "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक ९ के निर्णायक के रूप में भी स्वतः नामित हो गए हैं, तथा आप दोनों की रचनायें आगामी अंक के लिए स्वतः प्रतियोगिता से बाहर होगी |

जय ओ बी ओ!

अम्बरीष श्रीवास्तव

अध्यक्ष,

"चित्र से काव्य तक" समूह

ओपन बोक्स ऑनलाइन परिवार

 

Views: 1133

Replies to This Discussion

संजय, वंदना जी व दिलबाग जी...तीनों विजेताओं को बधाई व हार्दिक शुभकामनायें. 

स्वागत है आदरणीया शन्नोजी ! आपका हार्दिक आभार !

धन्यवाद आदरणीया वंदना जी ! आपका स्वागत है ! इस प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्ति हेतु आपको बहुत-बहुत बधाई !

इस प्रतियोगिता के तीनो विजेतायों, श्री संजय मिश्र "हबीब" जी, श्रीमती वंदना गुप्ता जी एवं श्री विबाग विर्क जी को बहुत बहुत बधाई ! आप सभी की रचनाएँ सचमुच इस सम्मान की अधिकारी थी ! भाई अम्बरीश जी एवं पूरे निर्णायक मंडल को भी उस सुन्दर निर्णय के लिए सादर साधुवाद !  

संजय, वंदना जी व दिलबाग जी aap sabhi ko badhai

श्री संजय’हबीब’, श्रीमती वन्दना जी तथा श्री दिलबाग़ विर्क को हार्दिक बधाइयाँ.

 

सभी आदरणीय शुभाकांक्षियों, मित्रों एवं गुरुजनों का उनके सहृदय शुभकामनाओं, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए सादर आभार...

सादर आभार सम्माननीय निर्णायक मंडल और ओ बी ओ प्रबंधन का कि उन्होंने मुझ अकिंचन को आदरणीय वंदना जी और दिलबाग भाई जैसे सशक्त हस्ताक्षर के साथ खडा कर दिया.... यह सचमुच सुखद आश्चर्य और महती सम्मान  है...

आदरणीया वंदना जी और आदरनीय भाई दिलबाग जी को विजेता घोषित होने पर सादर, सादर बधाईयाँ....

जय ओ बी ओ

सभी शुभाकांक्षियों और मित्रों का उनके स्नेह और मार्गदर्शन के लिए सादर आभार

ओ बी ओ से जुड़ कर गौरवान्वित महसूस करता हूँ

यहाँ सीखने की दृष्टि से आया हूँ , ऐसे में तीसरा स्थान मिलना अतिरिक्त ईनाम है.

संजय मिश्रा जी और वंदना जी को हार्दिक बधाई

 

तीनों पुरुस्कृत प्रतिभागियों को हार्दिक बधाई

निर्णायक मंडल को इस निष्पक्ष निर्णय के लिए आभार

और सुन्दर कार्यक्रम के लिए मंच का आभार

aadarniya Sanjay Mishraji...shrimati Vandana Gupta ji tatha bhai Dilbag Virk ji....sabhi ko chitra se kavya-8 me shreshthata siddha karne hetu badhaiya.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service