For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है

Muslim_man : Muslim Arabic couple inside the modern mosque Stock Photostock photo : Young brunette beauty or bride, behind a white veil

मर्द बोला हर एक फन मर्द में ही होता है ,
औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है .

फ़िज़ूल बातों में वक़्त ये करती जाया ,
मर्द की बात में कितना वजन होता है !

हम हैं मालिक हमारा दर्ज़ा है उससे ऊँचा ,
मगर द्गैल को ये कब सहन होता है ?

रहो नकाब में तुम आबरू हमारी हो ,
बेपर्दगी से बेहतर तो कफ़न होता है .

है औरत बस फबन मर्द के घर की 'नूतन'
राज़ औरत के साथ ये भी दफ़न होता है .

शिखा कौशिक 'नूतन'

[द्गैल -धोखेबाज़ , फबन-सज सज्जा ]

 

 

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on December 1, 2012 at 12:35pm

अप्रत्यक्ष रूप से आप जो संप्रेषित करना चाह रहीं हैं ,हो रहा है इस नवल प्रयास के लिए बधाई 

Comment by shikha kaushik on November 29, 2012 at 3:00pm
shayam ji ,venus ji ,chandresh ji ,shalini ji ,nilansh ji ,rajesh ji v vashudha ji -bahut bahut aabhar anmol tippani hetu
Comment by Vasudha Nigam on November 29, 2012 at 9:59am

रहो नकाब में तुम आबरू हमारी हो ,
बेपर्दगी से बेहतर तो कफ़न होता है .

कड़वी सच्चाई व्यक्त करती एक बेहतरीन रचना पर बधाई। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 29, 2012 at 9:47am

शिखा जी एक कडवी सच्चाई से रूबरू कराती  हुई प्रस्तुति बहुत खूब बधाई आपको 

Comment by Nilansh on November 28, 2012 at 12:06pm
बहुत अच्छा लिखा है आपने
Comment by shalini kaushik on November 28, 2012 at 12:01am

रहो नकाब में तुम आबरू हमारी हो ,
बेपर्दगी से बेहतर तो कफ़न होता है .

बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति  .बधाई

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on November 27, 2012 at 11:35pm

बहुत खूब, आपको बधाई || 

पहले पद को बदल कर ऐसे भी कर सकते हैं कि

उसने बोला मर्द में ही हर फन होता है ,
औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है .

Comment by वीनस केसरी on November 27, 2012 at 6:26pm

सुन्दर प्रयास

Comment by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 4:00pm
प्रनाम जी

बहुत खूब । परन्तु आज के बदलते जमाने के हिसाब से दोनों एक से बढ़कर एक हैं ।

धन्यवाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
21 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service