For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोर भई अरु सांझ ढली दिन बीत गया अरु रात गई रे.

बात चली कुछ दूर गयी अरु जीवन हारत मौत भई रे,

मानत हैं नर नार प्रजा सब दामिनी नेह सहोद तई रे,

जीवन देकर ज्ञान दियो परखो नज़रें यह सीख दई रे/

 

सीख दई कछु ज्ञान दियो,पर जीव बचा नहि जान गई रे,

छोरि गरीब कि आह भरी प्रण प्राण लिये उस धाम गई रे,

भूल परे नहि शोक करो पर भूल से हो प्रण भूल नई रे,

और न कोय गरीब मरे अब और दले तन कोय नई रे/  

 

नार फिरे भय मुक्त  समीप न दुष्ट न कष्ट करीब कभी हो,

हो खुशहाल सदा जननी पहिरे तन  साज श्रृंगार सभी हो,

और धरें नर ध्यान मिले सम आदर नार क मान तभी हो,

नार न हाड न मांस शरीर कहो उसको सब मात अभी हो/

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 2, 2013 at 9:18am

आदरेया सीमा जी हार्दिक अभिनन्दन, सच है इतनी बड़ी त्रासदी के बाद भी न जन बदला न मन बदला न शासन तन्त्र ही.बहुत दुखद है. हाँ आपने हनी सिंह का जिक्र किया है उन ने माफ़ी मांगी है फिरभी अब उन पर एक मुकदमा दर्ज हो चूका है.आपकी चिंताएं अन्य समाज जनो की भांति ही वाजिब हैं. छंद सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार.

Comment by seema agrawal on December 31, 2012 at 8:13pm

कितनी बड़ी त्रासदी है इस देश की कानून व्यवस्था ...इसका प्रत्यक्ष प्रमाण उस समय मिला जब दिल्ली की ही एक बस में एक बार फिर (इतने आन्दोलन के बीच )एक बालिका के साथ छेड़खानी हुयी 

आज युवा वर्ग जो इस प्रकरण में समवेत स्वर में नारे लगा रहा है उनसे भी एक प्रश्न है ...जब हनी सिंह जैसे गायकों के शोज देखते हैं और खुशी से झूमते हैं (गाने के शब्द होते हैं :-"आजा चीर दूँ में तेरी पटियाला सलवार " गाने वाला Honey Singh.या मैं बलात्कारी हूँ )तब उनकी यह सोच कहाँ जाती है क्या इस प्रकार के आयोजन इन दुर्घटनाओं की  प्रस्तावना नहीं हैं क्यों देश में ऐसे कानून नहीं जो इस तरह के अश्लील लोगो पर प्रतिबंध लगा सके ,आज इसके विरुद्ध भी आम जन को ही खड़ा होना होगा  ... जिस बॉलीवुड के लोग "दामिनी " के समर्थन में उतरे है क्या वहीं से इस प्रकार के काण्ड की रूपरेखा नहीं तैयार होती .....जिम्मेदार सिर्फ सरकार नहीं समाज के जिम्मेदार तबके भी हैं ....... कड़े कानून तो बनाने ही होंगे पर कहीं न कहीं शील-अश्लील की परिधि को पहचान कर सामाजिक संस्थाओं को भी जिम्मेदारी उठानी होगी 

बहुत सुन्दरता से आपने सामायिक और संस्कारित सोच का निरूपण किया है सवैयों में ...चिंतन और चिंता दोनों का उचित समावेश है हार्दिक बधाई स्वीकार करिए 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 31, 2012 at 8:13pm

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम,आपसे सवैया पर आशीष पाकर अति प्रसन्नता हुई. अवश्य ही हम नव युवाओं में अच्छे संस्कार देखने की ख्वाहिश रखते हैं.सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 31, 2012 at 2:21pm

नार फिरे भय मुक्त समीप न दुष्ट न कष्ट करीब कभी हो,
हो खुशहाल सदा जननी पहिरे तन साज श्रृंगार सभी हो,
और धरें नर ध्यान मिले सम आदर नार क मान तभी हो,
नार न हाड न मांस शरीर कहो उसको सब मात अभी हो/

आदरणीय अशोक जी, इस उन्नत और सांस्कारी सोच के लिए आपका हार्दिक आभार. आपके कहे को देश के पुत्र साकार करें. एक अत्यंत सुन्दर मत्तगयंद सवैया के लिए आपको विशेष बधाई.

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 31, 2012 at 8:44am

अरुण जी भाई और जवाहर जी भाई आप दोनों का हार्दिक अभिवादन.नव वर्ष में भी साथियों का सहयोग इसी तरह मिलता रहे. आप दोनों को ही सपरिवार नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाएं.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 31, 2012 at 7:04am

आदरणीय अशोक भाई जी, सादर अभिवादन!

नार फिरे भय मुक्त  समीप न दुष्ट न कष्ट करीब कभी हो,

हो खुशहाल सदा जननी पहिरे तन  साज श्रृंगार सभी हो,

और धरें नर ध्यान मिले सम आदर नार क मान तभी हो,

नार न हाड न मांस शरीर कहो उसको सब मात अभी हो/

आपको नमन!

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 30, 2012 at 11:35am

सर सर्वप्रथम आपको प्रणाम आपकी सोंच को नमन आपने वर्तमान परिस्थिति का इतना सुन्दर चित्रण किया है कि बस मैं झूम उठा हूँ, सर अगर यह बातें अगर हम सोंच भी लें तो जीवन सुखमय हो जायेगा, इस तरह की दिल दहलाने वाली घटनाओं से मुक्ति मिल जायेगी. आपकी लेखनी विचारों को बदलने के लिए विवश करे यही कामना करता हूँ. हार्दिक बधाई नव वर्ष की बंध-बांधुओं सहित ढेरों शुभकामनाएं.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
57 minutes ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service