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हिंदी भाषा के शिंगार  रस छंद अलंकार 

नव शब्द माल लेके गीत तो बनाइए 

 संधि प्रत्यय समास, हों मुहावरे भी ख़ास  

भाव रंगों  में डुबो के कविता  रचाइए 

गीत या निबन्ध हो नवल भाव  सुगंध हो 

साहित्य सरोवर में डुबकी  लगाइए 

विद्या वरदान मिले लेखनी को मान मिले 

अपनी राष्ट्र भाषा का मान तो बढाइए 

 

 

भाव गहन बढे जो ध्यान नदिया चढ़े जो 

लेखनी की नाव लेके पार कर जाइये 

ह्रदय में प्रकाश हो मुट्ठी भरा आकाश हो  

प्रज्ञा  पुंज अर्णव से  अलख जगाइये 

हो छंदों की बरसात भीगे मन पात- पात 

ज्ञान अमृत  बूँदे  पीके  प्यास बुझाइये 

नित  जिसकी छाँव हो असीमित प्रभाव हो    

 ऐसा  विद्या कल्पतरु घर  में उगाइए

******************************************  

 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 14, 2013 at 10:06pm

आदरणीय लक्ष्मण जी घनाक्षरी को पसंद करने ,सराहने हेतु आपका हार्दिक आभार इसी तरह उत्साह वर्धन करते रहिएगा । 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 14, 2013 at 9:53pm

घनाक्षरी के भाव, कथ्य और ग्यायन में लय अति सुन्दर 

पूरी व्य्याकर्ण ही समाविष्ट कर दी, हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमरी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 14, 2013 at 10:29am

आदरणीय अरुण कुमार निगम  जी घनाक्षरी पर आपका अनुमोदन ,सराहना पाकर लेखनी धन्य हुई हार्दिक आभार आपका। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on April 14, 2013 at 10:16am

आदरेया, प्रथम घनाक्षरी में हिंदी व्याकरण के अवयवों का कुशलता से प्रयोग करके चमत्कृत ही कर दिया है. हिंदी प्रेम में पगी दोनों घनाक्षरी सुंदर, सुंदरतम,अति सुंदर, वाह !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 14, 2013 at 9:53am

आदरणीय अशोक रक्ताले जी घनाक्षरी पर उत्साह वर्धन करती हुई आपकी टिप्पणी हेतु  हार्दिक आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 14, 2013 at 9:51am

आदरणीय विजय निकोर जी हार्दिक आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 14, 2013 at 9:28am

प्रिय प्राची जी घनाक्षरी उसके भाव आपको पसंद आये जानकार ह्रदय प्रसन्न हुआ इस उत्साह वर्धन करती टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार 

Comment by vijay nikore on April 14, 2013 at 4:16am

राज जी,

 

प्रेरित कारती सुन्दर घनाक्षरी के लिए साधुवाद।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 13, 2013 at 11:42pm

हिंदी साहित्य के उत्थान की कामना लिए रचे गए कवित्त पर बहुत बहुत बधाई स्वीकारें आदरेया राजेश कुमारी जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 13, 2013 at 10:48pm

बहुत सुन्दर कथ्य घनाक्षरी का आदरणीया राजेश जी... 

हिंदी भाषा के शिंगार  रस छंद अलंकार 

नव शब्द माल लेके गीत तो बनाइए .............अहा!!! बहुत सही कहा है 

 संधि प्रत्यय समास, हों मुहावरे भी ख़ास  

भाव रंगों  में डुबो के कविता  रचाइए .............कितना उत्साह है इन पंक्तियों में ..सुन्दर आह्वाहन 

 बहुत बहुत बधाई 

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