For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ की तृतीय वर्षगाँठ पर आयोजित विचार गोष्ठी सह कवि सम्मलेन एवं मुशायरा का संस्मरण मेरी कलम से…राजेश कुमारी

१४ जून २०१३ की शाम   

ओबीओ की त्रतीय वर्षगाँठ पर काव्य गोष्ठी /कवी सम्मलेन /मुशायरा के आयोजन में उपस्थित होने के लिए  एक महीने का इन्तजार ख़त्म हो रहा था शाम को हम तीनो सखियों डॉ नूतन गैरोला ,कल्पना बहुगुणा और मुझे देहरादून से हल्द्वानी की  ट्रेन पकडनी थी अतः तीनो इकठ्ठा हुए एक दूसरे  के चेहरों को देख कर ही लग रहा था की कितनी उत्सुकता ,रोमांच था इस आयोजन  में शामिल होने का

कुछ देर गप शप करके सो गए और सुबह पांच बजे उठे बाहर भोर का नजारा बहुत सुन्दर लग रहा था आसमान हल्का नीला रंग लिए आँखों को बहुत सुकून दे रहा था क्यों की अंदेशा ही नहीं था कि यही अम्बर अगले कुछ घंटों में अपने तेवर बदलने वाला था ,जन जीवन की तबाही की गाथा अपनी छाती पर लहू से लिखने वाला था इस सब से बेखबर उस पल को कैमरे में कैद किया

और कुछ देर बाद हम हल्द्वानी की देव भूमि पर कदम रख रहे थे। चूंकि नूतन जी के भाई के घर ठहरने का प्रोग्राम बनाया था सो वो हमे स्टेशन से अपने घर ले गए ,वहां से तैयार होकर  हम आयोजन स्थल के लिए रवाना हुए ,आभासी दुनिया से निकलकर सबसे रूबरू मिलने का अनुभव बहुत रोमांचकारी होता है इससे पहले एक बार लखनऊ के आयोजन में शरीक होकर महसूस कर चुकी थी ,हमारे ब्लोगर मित्र प्रवीण पाण्डेय जी के शब्दों में कहूँ तो बहुत वाकू डाकी हो रहा था /बटरफ्लाई वर फ़्लाइंग इन स्टमक भी कह सकते हैं। हमारे सामने वह बिल्डिंग थी जिसमे आयोजन हो रहा था काफी सुन्दर बनी थी

हमे ऊपर हाल में जाने के लिए कहा गया। ऊपर पहुचे तो सर्व प्रथम चुलबुली प्यारी सी  गीतिका जी दिखाई दी देखते ही हमने पहचान लिया उन्होंने मेरे चरण स्पर्श किये तो आकंठ स्नेह आत्मीयता की लहर दौड़ गई हमने दिल से आशीर्वाद दिया ,महिमा श्री को उनके बताने पर ही पहचान पाई क्यों की वो अपनी प्रोफाइल पिक्चर से कही ज्यादा छोटी गुडिया सी दिखाई दी बहुत प्यार से मिली 

अचानक दूर पीछे बेंच  पर आदरणीय योगराज जी अपने सुपुत्र के साथ बैठे हुए दिखाई दिए उनको मैंने तुरंत पहचान लिया अतः मिलने के लिए उनके पास गई उनकी पहले की तस्वीरों के मुकाबले में बहुत कमजोर दिखाई दिए जो स्वाभाविक था बीमारी से दो दो हाथ जो करके आये थे इस आयोजन में उनकी उपस्थति ही माँ शारदे का वरदान समझो । चित्र में गंभीर प्रकृति के दिखने वाले इतने नम्र और विनोदी स्वभाव वाले इंसान से मिलकर बहुत अच्छा लगा जब से ओबीओ से जुडी हूँ ग़ज़लों में उनका मार्गदर्शन मिलता रहा है रूबरू उनकी शुभकामनाएं /सुझाव पाकर अपने को धन्य समझा । दोनों सत्रों की अध्यक्षता का भार इन्होने बाखूबी निभाया |

वहीँ दूसरी और बैठे हुए अभिनव अरुण जी दिखाई दिए ,प्रोफाइल पिक्चर से जरा भी भिन्न नहीं लगे वही मुस्कुराती बड़ी बड़ी आँखें सो तुरंत पहचान लिया उन्होंने बहुत आत्मीयता से नमस्कार किया बहुत अच्छा लगा मिलकर आदरणीय शास्त्री जी एक बेंच पर अपना छोटा सा लेपटोप लेकर बैठे थे उनसे मैं पहले भी तीन बार मिल चुकी थी उन्हें वहां देख कर बहुत अच्छा लगा। इसी बीच अचानक गणेश बागी जी से मुलाकात हुई या कहिये एक हंसमुख व्यक्तित्व वाले इंसान से ,अभिवादन के बाद कुछ बातें हुई बहुत अच्छा लगा मिलकर ,मंच को सजाने में गीतिका जी और महिमा जी व्यस्त थी तो मेरी नजरें डॉ प्राची जी को ढूंढ रही थी की अचानक मंच के दूसरे  छोर से मेरी और आती हुई  दिखाई दी  

एक प्यारी सी मुस्कान अधरों पर लिए हुए अभिवादन करते हुए मिली सबसे पहला सवाल ,की आने  में कोई दिक्कत तो नहीं हुई में ही उनका स्नेहिल व्यक्तित्व उभर कर आया बाद में आयोजन की सर्व पक्षीय  सुव्यवस्था ने उनकी कुशलता उनकी कुशाग्रता ,और साहित्य में आस्था का परिचय दिया। 

हम सबने फिर ये ग्रुप फोटो खिचवाई -------

अरुण कुमार निगम जी से और रविकर जी से लखनऊ में मिल चुकी थी सो तुरंत पहचान लिया जिनसे मिलकर लगा अपने ही परिवार के सदस्यों से बहुत दिन बाद मिल रही हूँ अरुण निगम जी का वो मुस्कुराता चेहरा वो अपना पन वो सादगी  सामने वाले के दिल में जगह बनाने के लिए बहुत है वही आभास उनके परिवार से मिलकर हुआ । आदरणीय रविकर जी भी बहुत सच्चे दिल के मिलनसार  इंसान हैं जिसका प्रभाव उनकी त्वरित कुंडलियों की तरह सामने वाले पर गहरा पड़ता है । 

इसी बीच एक भोला भाला प्यार सा नवयुवक मेरे पास आया जिसको देखते ही मैं पहचान गई मैंने कहा मृदु ?? शैलेन्द्र म्रदु जी ने मुस्कुराते हुए कहा हाँ । बहुत प्यारा मेरे बेटे के जैसा बच्चा  है आगे जिसके कविसम्मेलन में प्रस्तुति करण  को देखकर मैं दंग  रह गई कविता गायन की जबरदस्त माहिरता है उनमे । काली दाढ़ी में आदरणीय अशोक रक्ताले जी को भी तुरंत पहचान लिया बहुत खुश होकर मिले उनके कोमल स्नेही स्वभाव का परिचय उनकी बातों से खुद बा  खुद मिल गया । 

      हाँ शुभ्रांशु पाण्डेय जी को दूर से देख कर सोच रही थी कि इस आकर्षक व्यक्तित्व के धनी इंसान को कहीं देखा है  किन्तु पूर्णतः पहचानी जब उनकी हास्य रचना जो ओबिओ पर कई बार पढ़ी थी उन्ही की आवाज में मंच पर सुनी ,पहचानने पर उनसे मिली बातें की उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।  इसी दौरान आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,राणा जी एवं वीनस जी से मिलने की उत्सुकता बढ़ रही थी नजरें उनको ढूढ़ रही थी पता 

चला कहीं जाम में फंसे हैं आने में वक़्त लगेगा । 

नाश्ता पानी करने के बाद  अभिनव अरुण जी ने मंच सम्भाला और काव्य गोष्ठी का प्रथम सत्र आरम्भ हुआ । सभी ने अंतरजाल का साहित्य में योगदान विषय पर अपने अपने द्रष्टि कोण से बोला ,मुझे भी बोलने का अवसर मिला। अभिनव अरुण जी ने अपना उत्तरदायित्व बखूबी निभाया जिसको देख कर सोचा  आने वाले आयोजनों  के लिए एक बेहतरीन मंच संचालक ओबिओ के पास रिजर्व है ।  

प्रथम सत्र के चलते हुए  बीच में  देखा आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ,वीनस जी और राणा प्रताप जी पीछे बैठे हैं ,प्रथम सत्र ख़त्म होते ही सबसे पहले उन तीनों से मिले ,आदरणीय सौरभ जी से एक बार फोन पर बात हुई थी चैट तो होती रहती थी पर रूबरू देख कर लगा नहीं की पहली बार मिल रहे हैं पहचानने में कोई दिक्कत नहीं हुई वही दिव्य व्यक्तित्व जो फोटों में दिखाई देता था , बहुत आत्मीयता के साथ  मिले बहुत अच्छा लगा मिलकर । राणा जी और वीनस जी से भी बाते हुई लगा अपने ही परिवार के सदस्यों से मिल रही हूँ ।  

बीच में थोडा वक़्त मिला तो ये फोटो खिचवाया --------

प्रथम सत्र समाप्ति के बाद भोजन की व्यवस्था थी । 

भोजन के उपरांत दूसरे  सत्र का आरम्भ ,एक प्यारी सी गुडिया की मधुर आवाज में गाई  गई सरस्वती वंदना से हुआ ,जो बाद में पता चला की वो आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी की सुपुत्री स्रष्टि पांडे थी उसकी झील सी नीली आँखों ने उसकी मासूमियत ने हम सब का मन मोह लिया था ह्रदय से शुभकामनाएं देती हूँ उस बच्ची को । 

दूसरे  सत्र  में मंच संचालन  की बागडोर संभाली आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ने जिन्होंने  अपनी वाक् जाल वाक् पटुता  से प्रभावी,सराहनीय  बनाया । 

इसके बाद सभी ने अपनी अपनीबेहतरीन  रचनाएँ प्रस्तुत की जिनका विवरण आदरणीय सौरभ जी अपनी पोस्ट में दे चुके हैं 

काव्य पाठ करते हुए शलेन्द्र मृदु जी ने सबसे ज्यादा प्रभावित व् अचंभित किया ,दूसरे राजेश शर्मा जी ने जिनके प्रस्तुति करण के बीच में बार बार लोगों को तालियाँ पीटने पर मजबूर किया । अभिनव अरुण जी की जैसी उत्कृष्ट लेखनी है वैसा ही उनका लाजबाब प्रस्तुति करण ।

प्रिय प्राची जी के कलम में  ही नहीं उनकी वाणी में भी माँ शारदे का वरद  हस्त है ।उनके काव्य पाठ से सभी श्रोता मन्त्र मुग्ध दिखाई दिए उनकी कह मुकरिया ने भी खूब वाह वाही लूटी | 

इसके अतिरिक्त अरुण निगम जी ,आदरणीय रूप चन्द्र शास्त्री जी ,रविकर जी शुभ्रांशु पाण्डेय जी सभी ने शानदार प्रस्तुतियां पेश की । आदरणीय अशोक रक्ताले जी की प्रस्तुति ने भी वाह वाही लूटी|  मेरी दोनों सखियों डॉ नूतन गैरोला ,कल्पना बहु गुणा ने और प्रिय  गीतिका ,महिमा जी ने भी शानदार रचनाएँ पेश की और सबकी प्रशंसा बटोरी ।  श्रीमती सपना निगम जी के गीत ने खूब वाह वाही लूटी । इनके आलावा कई लोगों ने शानदार प्रस्तुतियां दी। मुझे भी एक नज्म सुनाने का अवसर मिला ।

फिर ग़ज़लों और मुशायरे का दौर चला आदरणीय प्रभाकर जी ने अपनी प्रस्तुति से बहुत प्रभावित किया जिसके फलस्वरूप ढेरों दाद पाई सच में नव लेखकों  शायरों के लिए वो एक प्रेरणा के स्रोत हैं इस हालत में भी मंच संभालना अपने गायन से लोगों को वाह वाह करने पर मजबूर कर देना कोई साधारण बात नहीं है , आदरणीय वीनस जी ने राणा जी ने तो अपनी ग़ज़लों से समाँ बाँध दिया हमारी लाउड दाद शायद उन तक पंहुच भी रही होगी । 

ओबीओ सदस्य आदरणीय अजय अज्ञातने अपनी ग़ज़ल से श्रोताओं को सम्मोहित कर लिया. आपकी ग़ज़ल को सामयिन की भरपूर दाद मिली.| 

इसके अतिरिक्त अवनीश उनियाल जी ,और आदरणीय राज सक्सेना जी की रचनाओं की भी भूरी भूरी प्रशंसा की गई 

अभिनव अरुण जी की छोटी छोटी शायरियों ने तो मंच ही लूट लिया ।

सबसे ज्यादा चकित किया तो आदरणीय सौरभ जी के गायन ने, पता नहीं था जो साहित्य शब्दों के धनी  हैं वो आवाज और गायन के भी इतने धनी  होंगे ,उनके काव्य पाठ ने तो  झूमने पर मजबूर कर दिया सच में उनके प्रस्तुति करण  ने हमारे दिलों पर अमिट छाप  छोड़ी है 

आदरणीय गणेश बागी जी की हास्य रचना ने सब को हंसी से  लोट - पोट कर दिया उनकी रचनाओं ने गायन ने देर तक सब को बांधे रखा |

अरुण निगम  जी की मिठ्ठू वाली रचना ने भी खूब प्रशंसा लूटी 

दूसरे  सत्र के बीच में ही वक़्त निकाल कर मैंने अपनी प्रकाशित पुस्तक "ह्रदय के उद्दगार "कुछ लोगों को भेंट स्वरुप दी देना तो सभी को चाहती थी किन्तु इतनी अधिक ला नहीं सकी भविष्य में जब भी अवसर मिलेगा बाकि मित्रों को भी अवश्य दूँगी |

अंत में चीफ गेस्ट डॉ. सुभाष वर्माजी जी ने भी अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को बांधे रखा ।अंत में सबको ओबीओ के आयोजन के सहभागिता प्रमाणपत्र आदरणीय योगराज जी के करकमलों द्वारा प्रदान किये गए |

कुल मिलकर आयोजन अपनी अमिट  छाप सबके दिलों में छोड़ने में कामयाब रहा जिन्होंने इस आयोजन  में भाग नहीं लिया उनके दिलों में एक टीस  जरूर रहेगी मौसम भी उस दिन मेहरबान रहा । फिर हम सब ने सभी के साथ फोटों खिचवाये

,रात  का भोजन किया और दिल में सुखद यादें लेकर नम आँखों से सबसे विदा ली 

और  भारी क़दमों से अपने गंतव्य की और प्रस्थान किया । 

**************************************************************************************************************

 

 

 

Views: 2315

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीया राजेश कुमारी जी! 

आपकी कलम से संसमरण पढ़ के तो बिलकुल आपने हमें पुन्ह वहीं आयोजन में जीवंत पहुंचा दिया। जब आप आदरणीया नूतन जी आदरणीया कल्पना जी आयीं थी तो मै आपके पास आई हूँ आपके पैर छुए आपने स्नेहिल आशीर्वाद दिया। प्राची जी की वही शांत और बडप्पन भरी आतिथ्य सत्कारिता और आप सब प्रबुद्ध जन से मेल मिलाप में मशगूल हो गयी और जैसे मै और महिमा जी  अभी भी मंच सजा रहे है फिर मन मोहने वाला काव्यपाठ हुआ फिर इतने सारे फोटोसेशन ....बहुत अच्छा लगा ...वह ऊर्जा अभी भी महसूस की जा रही है मेरे द्वारा ...

किन्तु मुझे एक बात समझ में नही आई की मै नाश्ते के टेबल के फोटोस से हर जगह गायब कैसे हूँ ...वहाँ तो मै सबसे पहले गयी थी :)))

माँ शारदे की कृपा और ओ बी ओ टीम के प्रयास से सफल आयोजन पर सबको शत शत शुभकामनायें!

 

हार्दिक आभार प्रिय गीतिका ,सच में वो पल ना जाने कितने  दिनों तक सुखद  स्मृति बन दिलों में बसे रहेंगे आगे भी इसी तरह के आयोजनों की मंगल कामना करते हैं । 

आदरणीया गीतिका जी आप कैसे नाश्ते की टेबिल से गायब हो सकती हैं आप तो नाश्ते चाय के साथ कैमरे में कैद हुई हैं.लीजिये आज यह छाया-चित्र भी अपलोड किये देता हूँ.सादर.

आदरणीय रक्ताले जी!

आपने  तस्वीरे अपलोड कर दी क्या ??

आदरणीया राजेश जी ... आपके इस शब्द चित्र ने अब तक प्रस्तुत दो रपटों के अनुपूरक का कार्य किया है ... बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति के लिए ... आपकी संवेदना को सुन्दर शब्द मिले हैं ...जिस आत्मीयता से आपनें सभी को याद किया वह दिल को छू लेने वाला है ...बहुत बहुत अभिवादन !!

अभिनव अरुण जी आपको मेरा ये संस्मरण पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ आप सब इतने अच्छे थे कि  जितना लिखा वो भी कम है हार्दिक आभार आपका । 

आदरणीया राजेश जी 

आपके नज़रिए से फिर से आयोजन के एक एक लम्हे से होकर गुज़ारना वास्तव में बहुत सुखकर और सुन्दर लगा... इस हृदयस्पर्शी संस्मरण को प्रस्तुत करने के लिए हृदय तल से धन्यवाद.

सादर.

प्रिय प्राची दिल से जो महसूस किया उसको शब्द भर दिए हैं बस ये सुखद यादें हमेशा मन में रची बसी रहेंगी इसका पूर्ण श्रेय आपकी मेहनत  और साहित्यिक निष्ठां को जाता है जिसकी बदौलत ये अवसर मिल पाया हार्दिक आभार आपका । 

आदरणीया राजेश दी ... वाकई में हल्द्वानी का संस्मरण जीतनी बार पढ़ा जाए उतनी ही  बार आनंद की अनुभूति होती है ..एसी खुशनुमा यादें जो बिलकुल हमारें  जेहन में हमेशा तरोताजा ही रहेंगी / सच में अंतरजाल से बाहर वास्तविक दुनिया में आप सभी से मिलना बहुत ही आह्लादकारी था / सचित्रो  के साथ आपके  ही अंदाज में आपकी लेखनी के साथ फिर नए सिरे से उन लम्हों की पुनरावृति बहुत ही सुखद लगा // बहुत -२ बधाई / शुभकामनाएं

प्रिय महिमा श्री आपको ये संस्मरण रोचक लगा हार्दिक आभार आप सब थे ही इतने प्यारे जिनसे मिलने के बाद उनके विषय में लिखने के लिए  शब्द खुद बा  खुद निकलने लगे इतनी सुखद यादे हैं जितना लिखो वो भी कम है । 

बहुत सुन्दर विवरण-
आभार आदरणीया-

हार्दिक आभार आदरणीय रविकर जी मेरे संस्मरण को पढ़कर उसकी सराहना करने हेतु. |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी इस प्रयास के लिए हार्दिक बधाई| तुकांत की दृष्टि से सभी पदों में  पोतियाँ के…"
4 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र से भाव लेकर सुन्दर घनाक्षरी रची है आपने.…"
8 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी,  छंद की हर पंक्ति चित्र के अनुरूप है, हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए |"
19 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभभाई जी,  प्रशंसा सार्थक टिप्पणी और सुझाव के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ,आभार…"
32 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह .. वाह वाह ...  आदरणीय अशोक भाईजी, आपके प्रयास और प्रस्तुति पर मन वस्तुतः झूम जाता…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई जी, आयोजन में आपकी किसी रचना का एक अरसे बाद आना सुखकर है.  प्रदत्त चित्र…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service