For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लगे जताने बहुत बड़े है

121    22   121    22

.

जहाँ जरूरी हुआ अड़े हैं,

इसीलिए हम यहाँ खड़े हैं

 

जिन्हें जरूरत जहान भर की

वहीँ मशाइल  बड़े-बड़े हैं

 

समय उन्हीं के लिए बना है

जिन्हें कि हर पल लगे बड़े हैं

 

मिली जरा सी उन्हें जो शुहरत,

लगे जताने बहुत  बड़े है

 

जिन्हें नाकारा  है तेरी दुनिया   

हम उनके हक़ में सदा लड़े हैं

 

किसी की कमियों से क्या है लेना

अगर है खूबी, वहीँ अड़े हैं

 

 

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on July 27, 2013 at 1:10am

जहाँ जरूरी हुआ अड़े हैं,

इसीलिए हम यहाँ खड़े हैं



मिली जरा सी उन्हें जो शुहरत,

लगे जताने बहुत  बड़े है

वाह वा डॉ साहब मज़ा आ गया ...

पोस्ट पर देर से आ सका इसके लिए अफ़सोस है

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 19, 2013 at 7:00pm

इसे जिन्हें नकारे तुम्हारी दुनिया  

आपकी सलाह बेहतर है , सादर  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 18, 2013 at 8:55pm

आदरणीय ललितजी, आपकी इस प्रस्तुति के लिए साधुवाद.  काफ़िया तंग है यह तो साफ़ दिख रहा है. फिर भी कुछ और काफ़ियों का प्रयोग ग़ज़ल को बेहतर कहन देता. 

जिन्हें नाकारा  है तेरी दुनिया  .. में नाकारा कुछ जमा नहीं,आदरणीय.  इसे जिन्हें नकारे तुम्हारी दुनिया  कर बेहतर प्रभाव लाया जा सकता है.   ऐसा मझे लगा.  कुछ और बेहतर मिसरे हो सकते हैं.

समय उन्हीं के लिए बना है

जिन्हें कि हर पल लगे बड़े हैं

 

मिली जरा सी उन्हें जो शुहरत,

लगे जताने बहुत  बड़े है

इन अशार के लिए बहुत-बहुत दाद कह रहा हूँ. 

Comment by विजय मिश्र on July 16, 2013 at 5:53pm
"समय उन्हीं के लिए बना है,जिन्हें कि हर पल लगे बड़े हैं"

-कम शब्दों में हीं सफलता का सन्देश दिया आपने ,यह जीवन परिचय हो शेष कुछ हो न हो . आभार ललितजी .
Comment by Shyam Narain Verma on July 16, 2013 at 1:09pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..
Comment by vandana on July 16, 2013 at 7:03am

जिन्हें जरूरत जहान भर की

वहीँ मशाइल  बड़े-बड़े हैं

bahut badhiya 

Comment by ajay sharma on July 15, 2013 at 10:37pm

जिन्हें जरूरत जहान भर की

वहीँ मशाइल  बड़े-बड़े हैं            ,,,,,,,bahut satik

sare ke sare sher shandaar hain

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छन्द पर उपस्तिथि और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय अखिलेश जी छन्द पर उपस्तिथि उत्साहर्धन और मार्गदर्शन के लिए आपका हार्दिक आभार। दीपोत्सव…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुति में जिन चिह्नों से युग्मकों को अलग किया गया है उन्हें हटा दिया…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service