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221 2121 1221 212

बेख़ौफ़ सारी उम्र निकल जाये इस तरह

गिरने की बात हो न, संभल जाए इस तरह

 

तूफ़ान भी चले तो चरागा जला करे

दोनों ही अपनी राह बदल जाए इस तरह

 

हर सिम्त जिंदगी रहे, पुरजोश  बारहां

जो मौत का भी होश,बदल जाए इस तरह

 

फैले कहीं जो बाहें तो बच्चों सा दौड़कर

मिलने को हर इक शख्स मचल जाए इस तरह

 

आंसू किसी की आँखों का, हर आँख  से बहे 

इस शहर की फ़ज़ा भी बदल जाये इस तरह  

                    मौलिक और अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 12, 2013 at 6:18pm

इसे दूसरी तरह से कह कर देखा है, आ. वीनस भाई , कृपया देखें

221 2121 1221 212

जो बोलने से पहले संभल जाए दोस्तों

दुश्मन रहे न यार बदल जाए दोस्तों

 

फैले कहीं जो बाहें तो बच्चों सा दौड़कर     

मिलने को हर इक शख्स मचल जाए दोस्तों 

 

जैसे झुकी सी शाख, सर उठा के फिर तनी

ठोकर का इल्म हो न, संभल जाए दोस्तों 

 

आंसू किसी का देखके,हो आँखें नम जहाँ     

इस शहर की फ़ज़ा यूँ बदल जाए दोस्तों

 

तूफ़ान भी जो आये, चरागों का जश्न हो  

हर कोई अपनी राह निकल जाए दोस्तों

 

हर सिम्त जिंदगी रहे, पुरजोश इस तरह 

जो मौत का इरादा ,बदल जाए दोस्तों

Comment by वीनस केसरी on July 11, 2013 at 1:53am

वाह वा डॉ साहब बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है

देर से आ पाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ
अगली ग़ज़ल का इंतज़ार रहेगा


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Comment by rajesh kumari on July 9, 2013 at 9:26pm

आदरणीय ललित जी बस काफिया की पुनरावृत्ति खल रही है ,वैसे अशआर सभी पसंद आये दाद कबूल कीजिये 

Comment by राजेश 'मृदु' on July 9, 2013 at 6:29pm

बेहतरीन लिखा है आपने आदरणीय, काफी दमदार प्रस्‍तुति, सादर

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 8, 2013 at 10:11pm
Comment by वेदिका on July 8, 2013 at 6:47pm

बहुत खूब गजल पेश की 

बधाई आदरणीय ललित जी!

Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 8, 2013 at 6:38pm

 Neeraj Mishra,बसंत नेमा जी,

शुक्रिया आदरणीय 

सादर 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 8, 2013 at 6:35pm

आदरणीयJitendra Pastariya जी,

शुक्रिया आदरणीय पस्तारिया  जी,

सादर 
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 8, 2013 at 6:32pm

बेख़ौफ़ सारी उम्र निकल जाये इस तरह

गिरने का इल्म हो न, संभल जाए इस तरह

 

Comment by Neeraj Nishchal on July 8, 2013 at 4:50pm

bahut khoobsurat

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