121 22 121 22
.
जहाँ जरूरी हुआ अड़े हैं,
इसीलिए हम यहाँ खड़े हैं
जिन्हें जरूरत जहान भर की
वहीँ मशाइल बड़े-बड़े हैं
समय उन्हीं के लिए बना है
जिन्हें कि हर पल लगे बड़े हैं
मिली जरा सी उन्हें जो शुहरत,
लगे जताने बहुत बड़े है
जिन्हें नाकारा है तेरी दुनिया
हम उनके हक़ में सदा लड़े हैं
किसी की कमियों से क्या है लेना
अगर है खूबी, वहीँ अड़े हैं
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
जहाँ जरूरी हुआ अड़े हैं,
इसीलिए हम यहाँ खड़े हैं
मिली जरा सी उन्हें जो शुहरत,
लगे जताने बहुत बड़े है
वाह वा डॉ साहब मज़ा आ गया ...
पोस्ट पर देर से आ सका इसके लिए अफ़सोस है
इसे जिन्हें नकारे तुम्हारी दुनिया
आपकी सलाह बेहतर है , सादर
आदरणीय ललितजी, आपकी इस प्रस्तुति के लिए साधुवाद. काफ़िया तंग है यह तो साफ़ दिख रहा है. फिर भी कुछ और काफ़ियों का प्रयोग ग़ज़ल को बेहतर कहन देता.
जिन्हें नाकारा है तेरी दुनिया .. में नाकारा कुछ जमा नहीं,आदरणीय. इसे जिन्हें नकारे तुम्हारी दुनिया कर बेहतर प्रभाव लाया जा सकता है. ऐसा मझे लगा. कुछ और बेहतर मिसरे हो सकते हैं.
समय उन्हीं के लिए बना है
जिन्हें कि हर पल लगे बड़े हैं
मिली जरा सी उन्हें जो शुहरत,
लगे जताने बहुत बड़े है
इन अशार के लिए बहुत-बहुत दाद कह रहा हूँ.
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए …………….. |
जिन्हें जरूरत जहान भर की
वहीँ मशाइल बड़े-बड़े हैं
bahut badhiya
जिन्हें जरूरत जहान भर की
वहीँ मशाइल बड़े-बड़े हैं ,,,,,,,bahut satik
sare ke sare sher shandaar hain
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online