माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!
खाऊँ नही अन्न, जल पीऊँ भी न
निराहार काटूँ घड़ियां!
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!
करो सदा सत्कर्म प्रेरित माँ
तुम बिन और कोउ नैयां!
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!
एड़ी माहुर मांग सेंदुर माँ
पाउन अमर रहें बिछियाँ!
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!
गौरा के ज्यों शिव सदा है माँ
मेरो अमर रहे सैयां!
माई तीजा अखंड सौभाग्य द्यो हो माँ!
- गीतिका 'वेदिका'
मौलिक/ अप्रकाशित
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आदरणीया गीतिका जी,
आप साहित्य की महारथी हैं। मैं अभी छात्र ही हूं। आप लोगों की संगत में धीरे धीरे मेरी भी समझ विकसित हो ही जाएगी।
आपने मेरे कहे को मान दिया और शंका समाधान किया, इसके लिए आपका हार्दिक आभार!
बुंदेलखंड की बोली में रचे इस मधुर गीत ने मंत्रमुग्ध कर दिया ..अति भावपूर्ण और सुन्दर सृजन ... विविधताओं से भरे हमारे देश की विविध भाषाएँ बोलियों में प्रचुर साहित्यिक संभावनाएं हैं ..बस सृजन की उन संभावनाशील क्यारियों में थोड़ी निराई गुड़ाई की ज़रूरत है ... और इस दिशा में गीतिका जी का प्रयास बुन्देली साहित्य की दृष्टि से भी स्तुत्य है ..बहुत साधुवाद और शुभकामनायें इस संभावनाशील सर्जना शक्ति को !!
आप सही कहते है आदरणीय अभिनव जी! संभावनाओं के साथ-साथ माटी के प्रति दायित्व का भी निर्वहन करना होगा| अंचल के साहित्य के लिए प्रयास करना ही होगा आदरणीय ...!
आपका बहुत बहुत धन्यवाद ,,,आशीष बनाए रखिए !!
आपकी रचना अच्छी लगी किंतु प्रार्थना या गीतों के साथ सबसे बड़ी मुश्किल यही होती है कि जबतक उसे सुना ना जाए उसकी सुंदरता का पूर्ण आकलन नहीं किया जा सकता । आपने भी रेकार्ड प्रस्तुत करने की बात की है जिसकी प्रतीक्षा रहेगी । बुंदेली की यह रचना मुझे तो पूरी तरह से समझ में आ रही है क्योंकि इससे मिलते जुलते शब्द मैथिली, भोजपुरी, अंगिका, बंगला, असमी में भी है और चूंकि मैं इन प्रांतों में रहा हूं तो समझने में कोई परेशानी नहीं है, सादर
आदरणीय राजेश जी!
आपने मेरा मनोबल बढ़ाया .।.आपका आभार व्यक्त करती हूँ| और जितनी जल्दी संभव होगा मै अवश्य ही गीत को सस्वर प्रस्तुत करूंगी !!
गीतिका जी, बुन्देलखण्डी मुझे हिंदी सदृश ही लगीl मैं श्री राजेश झा जी की बात से सहमत हूँl गीत यानी रचना का गेय स्वरूप जिसकी व्याख्या गा कर ही की जा सकती है, वैसे आपकी यह रचना पढ़ने में भी मनमोहक है, आप लिखती रहें क्यूंकि हर रचनाकार की अपनी अलग पहचान होती है, आप ग़ज़ल गीत कविता हर विधा में छाप छोड़ने में सफल रही हैंl यह रचना भी आपकी विशिष्टता को दर्शाने में सफल हैl
शुभकामनाओं सहित,
आदरणीय शिज्जु जी!
आपका शतशत आभार, आपने रचना पर मेरा मनोबल बढ़ाया,!!
जी हाँ! बुंदेलखंडी, हिन्दी ही है| बस अलग अलग अंचलों मे बोले जाने से उनके नाम स्थान के नाम पर हो जाते है और स्थानीय लोग अपनी सुविधानुसार उसमे परिवर्तन कर लेते है|
सादर !!
बहुत सुंदर लगा आपका गीत, गीतिका जी! बहुत ही मधुरऔर प्रवाहपूर्ण। सचमुच आनंद आ गया। भाषा तो सरल ही है। भारतीय भाषा कोई भी हो, लोकगीत शैली मन को मुग्ध कर देती है। सार्थक सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई आपको
का बात है दीदी
गजबै लिखो है
इतनी नोनी सी भक्त लिखी है आपने
बहुत बहुत बधाई हो
इमें हमाओ कोनौ हाथ नैयां भैया संदीप जी! जो कछु है सो वा तीजा मैया ने औराओ तो कलम खुदई चलत गयी|
आप ई गीत पे पधारे हमें मनोबल मिलो, आपके बड़प्पन के लाने हम खूबई खूब आभारी है|
सादर!!
मैया ऐसो औरात रहे हमारी दीदी को
खूबई मजा आओ पढ़ें में
एक और बधाई हो
और हम छोटे हैं बड़प्पन कहाँ से आ गओ
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