For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उतर रही लक्ष्मी घर आँगन

उतर रही लक्ष्मी घर आंगन

सावन भादो बरस गये
हर्षित हुई अवनी.
नृत्य कर रही है वह खेतों में
धानी चुनरी पहन.

मिली किसानों को फ़सलों का सौगात
बीत गये अंधकार भरे दिन.
गा रही है हर सुबह
उषा, मृदु स्वर में असावरी.
उल्लसित है सब का मन.

कर पितरों को जल तर्पण
भगवती को सुगंधित अर्ध्य अर्पण
तुलसी बीरवा तले दीप जला
त्यौहारों का है मौसम
सखी! सतरंगी परिधान पहन

चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन.

अलक्ष्मी ड्योढ़ी से दूर जावे
बुरी दृष्टि से बचे देश हमारे
द्वार-द्वार दीपमालिका सजा
संध्या का हाथ थामे सखी
उतर रही आकाश से लक्ष्मी हर घर आँगन.
मैलिक व अप्रकाशित

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on November 12, 2013 at 11:22pm

बहुत प्रभावशाली कविता अभिव्यक्ति हुयी है|

//चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन// एक एक पंक्ति मे त्योहार की भावभीनी गंध महक रही है| 

सादर वंदन सहित आपको शुभकामनायें प्रेषित है!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 12, 2013 at 11:11pm

आदरणीया कुन्ती जी. आप पर बहुमुखी दायित्व है अब.

व्याकरण दोष से रचनाओं को हर संभव बचायें. सौगात  को लेकर कह रहा हूँ. या बीरवा में हुआ अक्षरी दोष. 

रचना पूर्ववत प्रभावशाली है. बधाई.. .

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 11:40am

बेहद सुंदर एवं प्रभावशाली अभिव्यक्ति है आ0 कुंती जी....

Comment by Sachin Dev on November 6, 2013 at 7:00pm

आदरणीय कुंती जी, सुन्दर रचना और दीपावली की हार्दिक बधाई आपको ! 

Comment by बृजेश नीरज on November 6, 2013 at 10:02am

बहुत सुन्दर चित्र खींचा है आपने! आपको हार्दिक बधाई!

इसे मात्रा में यदि बाँधा जाता तो सुन्दरता और बाद जाती.

सादर!

Comment by ram shiromani pathak on November 5, 2013 at 9:27am

बहुत ही  सुन्दर  प्रस्तुति आदरणीया कुन्ती जी  आपको बहुत बहुत बधाई …सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 5, 2013 at 8:35am

सखी! सतरंगी परिधान पहन

चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन.

 

अति सुंदर भाव, दीप पर्व पर आपने, एक एक रश्मों का बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुतीकरण किया, हार्दिक बधाई व् दीपोत्सव की मंगल शुभकामनायें आदरणीया कुंती जी

Comment by coontee mukerji on November 4, 2013 at 1:39pm

आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद एवं दिवाली की शुभकामनाएँ.

सादर

कुंती

Comment by Meena Pathak on November 3, 2013 at 4:58pm

संध्या का हाथ थामे सखी 
उतर रही आकाश से लक्ष्मी हर घर आँगन........ बहुत सुन्दर , बधाई स्वीकारें | शुभ दीपावली | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 3, 2013 at 1:58pm

अल्पना सम विहँसती ,रचना मधुरतम दीप-सी 

गर्भ  में  मु क्ता छुपाये, वाह  अनुप म सीप-सी 

शुभ दीपावली....................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
19 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
19 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
19 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
19 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
20 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
20 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
20 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
20 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, अभिवादन एवं हार्दिक धन्यवाद।"
20 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service