For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता :- कहाँ गणतंत्र

कविता :- कहाँ गणतंत्र

 

फेल हुए सब मंत्र

कहाँ गणतंत्र ?

किसने बोया कौन काटता

किसको बांटे कौन बांटता

थोथे सारे यंत्र

कहाँ गणतंत्र ?

 

तुम ही बोलो

कब बोलोगे ?

किसने खोया कौन पा रहा

देश राग ये कौन गा रहा

कवि कहाँ क्यों मौन ?

 

आदर्शों की हाट बिक गयी

जो सच्ची थी ठाट बिक गयी

मिथ्या का आधार

है बंटाधार

कवि तुम कब बोलोगे ?

 

आम आदमी पिसा जा रहा

संघर्षों में मात खा रहा

अनुनय विनय पतन आघात  

किसके हाथ अनाथ

कवि कुछ तो बोलोगे ?

 

मीनारें सज गयीं सुनहरी

अपनी ही सत्ता है बहरी

खेल मदारी का है जारी

आज जमूरे की है बारी

आँखे खोल कवि कुछ बोल ?

 

आज हिमाला फिर पिघला है

पीर नहीं यह सच निकला है

जनता मांगे हक

नहीं बहक

कवि तुम कब बोलोगे ?

 

आस नहीं विश्वास भी खोया

पाप है किसका किसने धोया

गंगा बंधकर रुदन करती

सब कुछ सहती

कवि तू पढ़ कुछ मन्त्र

कहाँ गणतंत्र ?

 

 

 

 

Views: 534

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on January 28, 2011 at 2:06pm
आदरणीय सर्वश्री वीरन्द्र जी ,प्रभात जी एवं गणेश जी आपने रचना पढ़ी और टिप्पणी दी मैं अनुगृहित हुआ | इससे साहित्य की जीवन्त्तता और सार्थकता की अनुभूति होती है |
Comment by Veerendra Jain on January 28, 2011 at 11:26am
Arun ji... ek jhakjhorne wali kavita ke liye bahut bahut badhai...
Comment by prabhat kumar roy on January 28, 2011 at 6:06am
ARUN KUMAR PANDEY 'ABHINAV' has really written a vary good poem on REPUBLIC, which depicts the harsh and blatant reality of our socalled democratic system. 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 27, 2011 at 9:18am
आम आदमी पिसा जा रहा
संघर्षों में मात खा रहा
अनुनय विनय पतन आघात  
किसके हाथ अनाथ
कवि कुछ तो बोलोगे ?
कवि ह्रदय तो बोलेगा ही चीत्कार भी करेगा , वो कहा मौन रहने वाला , बहुत ही खुबसूरत और सार्थक रचना , बधाई अरुण भाई |
Comment by Abhinav Arun on January 26, 2011 at 6:40pm
सर्वश्री नवीन जी , संजय जी , अजय जी , दिनेश जी आप सबका आभार और सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !! सृजन चक्र चलता रहे इसमें आपका प्रोत्साहन मिला धन्यवाद !!
Comment by Abhinav Arun on January 26, 2011 at 6:38pm
आदरणीय श्री राजेंद्र जी आपकी टिप्पणी मुझमे हौसला और उर्जा का संचार करेगी आभार !!!
Comment by Rajendra Swarnkar on January 26, 2011 at 5:28pm
अरुण कुमार जी,
नमस्कार !

'कहाँ गणतंत्र' बहुत विचारणीय , प्रेरक और ओजस्वी कविता है ।
बधाई !

********************************
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं !
********************************

राजेन्द्र स्वर्णकार
swarnkarrajendra@gmail.com
जयहिंद ! वंदे मातरम् !
Comment by Dinesh Kumar on January 26, 2011 at 11:56am
bahut hi sashakt rachana ke liye sadhuvad.
Comment by Ajay Singh on January 26, 2011 at 11:16am
VERY VERY GOOOOOOOD.......
Comment by Sanjay Kumar Singh on January 26, 2011 at 11:05am
achchi Rachna aur Gantara divas ki badhai ho aapko |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service