For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा-अंक 42 (Now Close)

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 42 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | बहुत पहले एक ग़ज़ल रेडिओ पर बजती थी, "मुस्कुराए हुए एक ज़माना हुआ" , उस समय ग़ज़ल की समझ नहीं थी तो हम उसे गाने की तरह सुनते थे | धुन इतनी प्यारी कि पहली बार ही ज़बान पर चढ़ जाए, शेर इतने ख़ूबसूरत कि आज भी याद हैं..पर शायर का नाम नहीं याद | अगर किसी को इस ग़ज़ल के शायर का नाम याद हो तो ज़रूर बता दे मैं यहाँ अपडेट कर दूंगा | इस ग़ज़ल के शायर से माफ़ी के साथ मिसरा-ए-तरह इसी ग़ज़ल से लिया जा रहा है|

"जब से गैरों के घर आना जाना हुआ"

जब/२/से/१/गै/२ रों/२/के/१/घर/२ आ/२/ना/१/जा/२ ना/२/हु/१/आ/२

२१२ २१२ २१२ २१२

फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन

(बह्र-ए-मुतदारिक मुसम्मन सालिम )

रदीफ़ :- हुआ
काफिया :- आना (जाना, खज़ाना, दीवाना, पुराना, निशाना आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 दिसंबर दिन शनिवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 29 दिसंबर दिन रविवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 दिसंबर दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 16817

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

खूबसूरत अश’आर हुये हैं वीनस जी, दाद कुबूल कीजिए।  

बहुत खूब वीनस भाई, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. मतला-ए-सानी और तीसरा शेअर मन मोह ले गया. मेरी दिली बधाई स्वीकार करें. 

आदरणीय वीनस सर ..आपकी ग़ज़लों को पढने के बाद समझ में आता है की अभी ग़ज़ल लिखने के लिए बेहद परिश्रम करना पड़ेगा ..आपकी हर ग़ज़ल से बहुत सीखने को मिलता है  ..हम ग़ज़ल को निगाहों से पीने लगे 
तब कहीं जा के दिल शायराना हुआ ..रोज़गारे मुहब्बत में क्या फायदा 
दिल के बदले ही दिल का बयाना हुआ ..वाकई कमाल के शेर है ये ...कमेन्ट करना कठिन लग रहा है मैं तो बस चकित हूँ  ..ढेरो बधाई के साथ...सादर 

वाह! गज़ब! गजब! गज़ब! बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

आदरणीय वीनस जी , हर शेर लाजवाब है, बधाइयाँ...........

आपका ख़्वाब में रोज़ आना हुआ 
दिल मुनक्का हुआ, दिल मखाना हुआ 

एक शजर पत्थरों का दिवाना हुआ 
बस ये छोटा सा किस्सा फ़साना हुआ 

हम ग़ज़ल को निगाहों से पीने लगे 
तब कहीं जा के दिल शायराना हुआ 

रोज़गारे मुहब्बत में क्या फायदा 
दिल के बदले ही दिल का बयाना हुआ 

वाह..................

आपका ख़्वाब में रोज़ आना हुआ 
दिल मुनक्का हुआ, दिल मखाना हुआ 

एक शजर पत्थरों का दिवाना हुआ 
बस ये छोटा सा किस्सा फ़साना हुआ 

हम ग़ज़ल को निगाहों से पीने लगे 
तब कहीं जा के दिल शायराना हुआ //////////////वाह क्या कहने बहुत खूब आदरणीय वीनस भाई  जी  । …   …हार्दिक बधाई आपको 

श्री अखंड गहमरी जी की यह रचना अस्तरीय होने के कारण आयोजन से हटा दी गई है. 

श्री रमेश चौहान जी की यह रचना अस्तरीय होने के कारण आयोजन से हटा दी गई है.

यथोचित निर्णय सीर माथे पर । मेरे अध्ययन एवं अभ्यास में कमी को पूरा करने का प्रयास करता रहूंगा ।

जबसे महबूब तेरा दिवाना हुआ ,

दर ब दर हूँ कहाँ इक ठिकाना हुआ |

 

एक पाकीज़गी की लहर सी उठी ,

जोगियों का गली मेरी आना हुआ |

 

फूल खिलने की उपवन ने भेजी खबर ,

तितलियों के लिए इक बहाना हुआ |

 

इश्क़ में डूबकर पीर वो हो गए ,

उनका हर शेर यूँ सूफ़ियाना हुआ |

 

आते थे ख़त कभी खूं से लिक्खे हुए ,

तौर वो आशिक़ी का पुराना हुआ |

 

रोज़ हंस हंस के मिलता हूँ सबसे मगर ,

ख़ुद से मुझको मिले एक ज़माना हुआ |

 

अब ज़ियादा मुहब्बत से मिलते हैं वो ,

जबसे गैरों के घर आना जाना हुआ |

 

खंडरों मंदिरों में कुदालें चलीं ,

उनके सपनों में जबसे ख़ज़ाना हुआ |

 

मैंने ही सारे हाथों को पत्थर दिए ,

मैं ही सारे जहां का निशाना हुआ |

          * मौलिक एवं अप्रकाशित

एक पाकीज़गी की लहर सी उठी ,

जोगियों का गली मेरी आना हुआ |

 

इश्क़ में डूबकर पीर वो हो गए ,

उनका हर शेर यूँ सूफ़ियाना हुआ |

 

रोज़ हंस हंस के मिलता हूँ सबसे मगर ,

ख़ुद से मुझको मिले एक ज़माना हुआ |

 

मैंने ही सारे हाथों को पत्थर दिए ,

मैं ही सारे जहां का निशाना हुआ.... वाह वाह शानदार गज़ल.. ये कुछ शेर ज्यादा पसंद आये .. हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय अभिनव जी ..सादर

 

आदरणीय अभिनव भाई , कालवाब गज़ल कही है , हर शे र लाजवाब हैं , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

एक पाकीज़गी की लहर सी उठी ,

जोगियों का गली मेरी आना हुआ |

रोज़ हंस हंस के मिलता हूँ सबसे मगर ,

ख़ुद से मुझको मिले एक ज़माना हुआ | -------- वाह ! खास शेर के लिये खास बधाई स्वीकार करें ॥

 

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service