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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।


महा-उत्सव के नियमों में कुछ परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें | 

पिछले 38 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 39
विषय - सामाजिक समस्याएँ और उनका निराकरण 
आयोजन की अवधि- शनिवार 11 जनवरी 2014 से रविवार 12 जनवरी 2014 तक 

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)


तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दिए हुए विषय को दे डालें एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति. बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य-समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित पद्य-रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-
सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 11 जनवरी दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

आदरणीय चौथमल भाई हार्दिक बधाई , समाज की बुराइयाँ  और उनके निराकरण का अच्छा प्रयास है रचना के माध्यम से ॥ 

आदरणीय चौथमल जी 

आपने अपनी रचना में समाजमें व्याप्त कई समस्याओं यथा, जाति आधारित भेदभाव, भ्रष्टाचार, हिंसा, दुराचार, नशा, चोरी आदि आदि को प्रस्तुत किया है..साथ ही मानवता के भाव को पुनर्स्थापित करने और सभ्य व स्वस्थ समाज को भ्रष्टाचार मुक्त करने की सुन्दर बात कही है..

शिल्प पर थोडा और प्रयास रचनाकर्म को और सुन्दर कर देगा.

इस प्रस्तुति हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकारें 

अच्छी द्विपदियाँ हैं! आपको हार्दिक बधाई!

जात -पात को छोड़ कर ,मानवता को लाना होगा |
मानव के इस सभ्य समाज से ,भ्रष्टाचार मिटाना होगा ||..............बहुत खूब कहा है हर चरण मानवता में मानवता की पुकार है.


मीना ,टीना ,चुन्नी ,गुड्डी ,को विश्वास दिलाना होगा |
मानवता फिर स्थापित कर ,स्वस्थ समाज बनाना होगा ||...............जरूरी है !

आदरणीय चौथमल जैन साहब सादर सुन्दर दिए विषय के अनुकूल सार्थक रचना सादर बधाई स्वीकारें.

आदरणीय श्री चौथीमल जी ,,सुन्दर रचना सामयिकता का उत्कृष्ट समायोजन हुआ है साधुवाद और शुभकामनायें !!

आदरणीय चौथमल जी , विषयानुकूल आपकी द्विपदियों के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥

सामाजिक कुरीतियो पर चोट करती बहुत अच्छी  रचनाएं हैं। आपको बधाई

आदरणीय चौथमल जी कविता में आपने आज की सामाजिक बुराई का यथार्थ चित्रण किया है बधाई

बहुत सुन्दर! दिए विषय के अनुकूल सार्थक रचना , सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय...

भावपूर्ण इ स प्रस्तुति  के लिये आपको बधाई । आदरणीय गुरूजनो के सलाह को मन से स्वीकार किया जाना चाहिये ।

सार्थक विषय एवं भाव , बधाई आपको । 

समाज में व्याप्त अराजकता और नफरत पर रची सुंदर काव्य रचना के लिए बधाई श्री चौथमल जैन साहब 

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