For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसको पता कि कौन हूँ मैं ....

कोई शब्द नहीं निःशब्द हूँ मैं ....

खुद के चित्कार में छुप जाता हूँ

मेरा अस्तित्व,

मेरी संवेदनाएं

सन्नाटों ने खूब पढ़ा है

मेरे अनकहे शब्दों को

और ठंडी चुभती सर्द हवाओं ने

महसूस करा है ....

मेरे शब्दों के एहसास को .....

बहुत कुछ कहता हूँ

दिन भर .... 

तुमसे, सबसे

पर सच कहूँ तो 

आज तक

मैं, सिर्फ निःशब्द हूँ .....

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 715

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 8, 2014 at 8:43pm

बहुत बहुत आभार आ0 अलीन जी .... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 8, 2014 at 8:43pm

धन्यवाद आ0 मीना पाठक जी ... 

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 5, 2014 at 9:43am

बस एक शब्द....................लाजवाब................

Comment by Meena Pathak on January 28, 2014 at 12:54pm

 सच कहूँ तो 

आज तक

मैं, सिर्फ निःशब्द हूँ .........................बहुत सुन्दर रचना .. बधाई आप को आ० अमोद जी 

Comment by Amod Kumar Srivastava on January 24, 2014 at 8:17pm

आ0 सविता मिश्रा जी, आ0 नादिर खान जी, आ0 अनन्त जी, भाई पाठक जी, आ0 सौरभ जी, आ0 कल्पना रामानी जी, आ0 अन्नपूर्णा जी बहुत बहुत आभार..... 

Comment by annapurna bajpai on January 16, 2014 at 5:58pm

    sundarसुंदर रचना बहुत बधाई आपको । 

Comment by कल्पना रामानी on January 15, 2014 at 3:04pm

सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय आमोद जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 11:25pm

बहुत कुछ खौल रहा है .. बाहर आने दें..

शुभेच्छाएँ

Comment by ram shiromani pathak on January 14, 2014 at 9:44pm

 सुन्दर रचना .. बधाई आपको | सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 13, 2014 at 11:08am

अच्छी रचना है आदरणीय बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Sep 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service