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कुछ सामयिक दोहे / जवाहर

मानसून की देर से, खेतहि फटे दरार,

ताके किसना मेघ को, आपस में हो रार.

मानसून की अधिकता, बारिश हो घनघोर

उजड़ा घर अरु खेत अब, देखत सब चहु ओर

तीव्र पानी प्रवाह से,  वन गिरि भी थर्राय

नर पशु पानी में बहे, किसको कौन बचाय .

उथल पुथल भइ जिंदगी, कहते जिसे विकास.

जलवायु दूषित हुई,  आम हो गया ख़ास

राग द्वेष का जोर है, प्रीती नहीं सुहाय,

भाई से भाई लड़े, संचित धन भी जाय..

फैशन की अब होड़ है, फैशन डूबे लोग.

फैशन में पोषण घटे, बचा न कोइ निरोग.

(मौलिक व अप्रकाशित)

जवाहर लाल सिंह  

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Comment

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 27, 2014 at 6:52pm

प्रिय जवाहर भाई सुन्दर और विभिन्न विषय समेटे अच्छे दोहे आइये विद्वद जन के अनुसार और साधते रहें
आभार
भ्रमर ५

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 22, 2014 at 2:43pm

आदरणीय, सादर अभिवादन!

आपके सुधारात्मक सुझाव मेरे लिए मार्गदर्शन है और मेरा प्रयास जारी रहेगा. आपका अतिशय आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2014 at 1:02am

मानसून की देर से, खेतहि फटे दरार,
ताके किसना मेघ को, आपस में हो रार.... .      ... अत्यंत सधा हुआ दोहा हुआ है ! वाह !!

मानसून की अधिकता, बारिश हो घनघोर
उजड़ा घर अरु खेत अब, देखत सब चहु ओर.......   अधिकता शब्द गलत स्था पर आ गया है. देखत सब चहुँ ओर भी सधा हुआ नहीं है.

तीव्र पानी प्रवाह से,  वन गिरि भी थर्राय
नर पशु पानी में बहे, किसको कौन बचाय ...........  पहले दोहे वाली बात नहीं आ पायी, भाई

उथल पुथल भइ जिंदगी, कहते जिसे विकास.
जलवायु दूषित हुई,  आम हो गया ख़ास............ जलवायु शब्द के असहज प्रयोग ने इस अन्यतम दोहे को कमतर कर दिया, भाई..

राग द्वेष का जोर है, प्रीती नहीं सुहाय,
भाई से भाई लड़े, संचित धन भी जाय.... . .. . .....  आमजन से मुखातिब हुआ दोहा. बहुत खूब !

फैशन की अब होड़ है, फैशन डूबे लोग.
फैशन में पोषण घटे, बचा न कोइ निरोग.................बचा न कोई निरोग  को लेकर आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी पहले ही सुझाव दे चुके हैं.

आपका प्रयास बना रहे, भाईजी.
शुभेच्छाएँ

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 21, 2014 at 8:09pm

हार्दिक आभार श्री विजय निकोरे साहब!

Comment by vijay nikore on August 21, 2014 at 2:52pm

दोहे अच्छे लगे। बधाई, आदरणीय जवाहर जी।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 20, 2014 at 11:45pm

आदरणीय श्री गिरीराज जी, सादर अभिवादन!

प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 9:49pm

आदरणीय जवाहर लाल भाई , सुन्दर दोहों की रचना के लिए आपको बधाई |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2014 at 8:20pm

आदरणीय श्री लक्ष्मण धामी जी, सादर अभिवादन!

प्रोत्साहन हेतु आभार! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2014 at 8:16pm

आदरणीय लडीवाला साहब, सादर अभिवादन! आपका हार्दिक आभार आपका संशोधित सुझाव सिरोधार्य है इसे सुधार कर लूँगा. सादर!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2014 at 8:14pm

आदरणीय श्री जितेन्द्र गीत जी प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार!

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