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आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

 

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 42 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ

17 अक्तूबर 2014 से 18 अक्तूबर 2014,  दिन शुक्रवार  से दिन शनिवार

 

 

इस बार के आयोजन के लिए जिस छन्द का चयन किया गया है, वह है –  मनहरण घनाक्षरी छन्द

 

एक बार में अधिक-से-अधिक तीन मनहरण घनाक्षरी छन्द प्रस्तुत किये जा सकते है.

 

ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.

 

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है.]

 

मनहरण घनाक्षरी छन्द के आधारभूत नियमों को जानने हेतु यहीं क्लिक करें.

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 17 अक्तूबर 2014 से 18 अक्तूबर 2014  यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा. केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

अति आवश्यक सूचना :

  • आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, न कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध न करें.  आयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  • आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  • इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  • रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  • रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

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Replies to This Discussion

Aadarnie ravikr ji aapne chira ke chitra ka bahut accha varnan kia hai abhut accha praas hai. sudhijanon ki ray ka dhyaan rakhein bahut bahut badhaiyan

आदरणीय रविकर जी 

इस चित्र की मूल भावना को निम्न पंक्ति में बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं आपने...

दाँव पाँव है सधा, हाथ हाथ में बँधा, नारि शक्ति-रूपिणी , आसमान को छुवे ।

साथ ही 

भीड़-भाड़ पर्व की, बात नहीं गर्व की, इंतजाम जाम हैं, प्रजा ख़ाक छानती ..........व्यस्था शासन प्रशासन के लिए हुई इस पंक्ति का भी जवाब नहीं 

तुकांतता पर अवश्य ही मेरा भी ध्यान गया ..

प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई प्रेषित है 

इस प्रयास पर आभार आदरणीय रविकर जी, तुकान्तता पर ध्यान आपेक्षित है। 

मनहरण घनाक्षरी

यात्रा हो चारधाम या कुम्भ का स्नान करना, रेल में भी लोगों को स्थान नहीं मिलरहा

जोश में है लोग सब, पुन्य भी कमाना चाहे, लोग आये दौड़ते मेला यहाँ लग रहा

लम्बी लम्बी कतारों में, खड़े इन्तजार करे, टिकट खरीदने की जल्दी सभी कर रहे

रिश्तेदारों की भी भीड़,आती बिदा करने को, समझे भाग्यशाली जो यात्रा पर जा रहे ||

 

टिकट तो मिला पर, सीट का अकाल देख, देखो लोग रेल की छत पर चढ़ रहे

जोश और जूनून का अजीब नजारा देखो जिन्दगी की जोखिम अनदेखी कर रहे

बच्चा लिए गोद में जो युवक डरे न ज़रा भी वह मरने से जोश भी भरमार है

माता में भी जोश भरा, लगाने छलांग वह, युवक को पकड़ा रही अपना हाथ है ||

 

अजब नजारा देखो, झेलते है परेशानी, नित यहाँ यह तो जनता में उन्माद है

रेलों का जाल बिछा है,भरी रहे खचाखच, दुनिया में मानते भ्रमण का आनंद है

तीर्थ धाम सैकड़ो है, दर्शनीय स्थान खूब, आते रहे सैलानी आकर्षण का केंद्र है

कष्ट झेलते फिर भी, गाँव गाँव से करते सफर रेल का ये ही जीवन का सार है ||

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

आदरणीय लक्ष्मण  भाई

घनाक्षरी की सुंदर प्रस्तुति , रेलवे स्टेशन का पूरा नज़ारा ही छंद बद्ध कर दिये , हार्दिक बधाई। 

प्रथम छंद  की सभी पंक्तियों में एक सी तुकांतता नहीं है। 

सादर 

 

//प्रथम छंद  की सभी पंक्तियों में एक सी तुकांतता नहीं है।//

Baaki meyn hai ??

आ. लडीवाला जी सादर

इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें

 आपका सादर आभार श्री सत्यनाराण सिंह जी

आ० लक्ष्मण जी आपने विषय के इर्द गिर्द कल्पनाओं का अच्छा ताना बाना बुना है ,दूसरी घनाक्षरी चित्र के काफी करीब है जिसके लिए हार्दिक बधाई ,घनाक्षरियों में  कई जगह प्रवाह में गड़बड़ महसूस हुई है |और प्रयास से वो भी सध जायेंगे |

होंसला अफजाई के लिए हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी | सादर 

आदरणीय लक्ष्मण जी 

प्रस्तुत चित्र का अच्छा शब्द आरेख खिंचा है आपने |सादर अभिनन्दन

शुक्रिया आपका भाई श्री खुर्शीद खैराडी जी 

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