For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

     मानसिकता

“ सुना है ,कल छठ की गजटेड छुट्टी है ? ” मिस कामिनी ने चिप्स मुँह में भरते हुए कहा

“जी |”

“ अच्छा है एक और दिन आराम को मिला पर किसी और पर्व पे करनी चाहिए थी इसीलिए तो इन लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है दिल्ली में - - - “उन्होंने गिरे हुए चिप्स को पैरों से रौंदते हुए कहा |

“तो कहाँ जाएँगे ये लोग !क्या ये देश/शहर इनका नही हैं ?”

“वहीं रहें ,सिर्फ उतने आने दिए जाएँ जिससे गंदगी ना हो और हमे लेबर वगैरह आराम से मिलते रहें “उन्होंने खाली पैक्ट वहीं फैंक दिया |

“ वैसे आप के पति भी तो दिल्ली के नहीं हैं ना ! “

“ पर वो तो गजटेड अफसर हैं उनसे आप इनकी तुलना ना करें | “उन्होंने झेपते हुए जवाब दिया

 खाली पैक्ट उड़कर उनके पेट से टकराया और फिर जमीन पर आ गिरा |

C-@-सोमेश कुमार(मौलिक एवं अप्रकाशित ) 

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 10:42am

क्या कहने हैं भाई सोमेश कुमार जी, मानसिकता शीर्षक को लघुकथा के माध्यम से बखूबी परिभाषित किया है, हार्दिक बधाई।

Comment by Shubhranshu Pandey on November 2, 2014 at 7:45pm

आदरणीय सोमेश जी,

चिप्स के पैकेट को ले कर सुन्दर व्यंग्य कहा है. गंदगी मानसिक होती है जो व्यवहार में परिणत हो कर बाहर आती है.

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 1, 2014 at 7:55am

आ. सोमेश भाई , बढिया व्यंग्य लघुकथा कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें । अग्रजों  की सलाह पर ध्यान देते रहियेगा , रचना निखरते जायेगी । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 30, 2014 at 11:31pm

लघुकथा से निस्सृत व्यंग्य को महसूस किया जा सकता है.

धीरे-धीरे कथानक में कसावट आती जायेगी. आपके कहे की आगे भी प्रतीक्षा रहेगी. 

शुभेच्छाएँ

Comment by somesh kumar on October 30, 2014 at 9:39pm

मार्गदर्शन एवं आशीष के लिए आभर ,आदरणीय  डा गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी ,इस वाक्य को जोड़ने के पीछे अपने स्वार्थ पर लगने वाली ठेस को जताना है | चिप्स खाने-मसलने और पैक्ट को फैकने में आनन्द है पर उसके बिना स्वाद ,ताजगी और उदर-पूर्ति खतरे में है |फिर भी अगर आप अंत के लिए कोई अन्य वाक्य सुझाएँ तो स्वागत है 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 30, 2014 at 3:20pm

मित्र कथानक अच्छा है i सन्देश व्यंग्य सब अच्छा है पर लघु कथा में अनावश्यक विस्तार नहीं चाहिए i खाली पैकेट उनके पेट से टकराया----=== वाक्य प्रक्षिप्त सा लगता है  i इसकी आवश्यकता न थी कथानक में कसाव पर विशेष ध्यान अपेक्षित है i

Comment by somesh kumar on October 29, 2014 at 6:35pm

AABHAR 

Comment by Dr.sandhya tiwari on October 29, 2014 at 2:33pm
यथार्थ आ0बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service