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खट्टी डकार ?
हाय राम !
कहीं इमली खाने का मन तो नहीं करता ?
होने दो दही ,तभी मक्खन निकलेगा.
वीनस भाई...अब आप भी पेलू हो गए हैं लगता है......
वैसे मुमताज़ जी ने ब्रेन का रायता बनाया है आपके लिए......आपकी फेवरिट डिश..दिमाग का दही छोडिये ..और ब्रेन का रायता नोश फरमाइए....
क्या पता था इस तरह का हादसा हो जाएगा
इतने सारे बेवडों से राबिता हो जाएगा
जैसी करनी वैसी भरनी
मृग नयन साकी का चक्कर अब न छोडेगा अगर
खंडहर हो जाएगा, भस्का किला हो जाएगा
बंद दरवाजा ...भूतों का डेरा.......
चाँद-सूरज, फूल-तितली, जाम-मय, गर छोड़ दें
शायरों की डायरी से सब सफा हो जाएगा
अब इनके अलावा बचा क्या है...पव्वे पे तो रोज नहीं लिख सकते न .........
फाइलातुन, फ़ाइलुन, मुस्तफ्यलुन में फँस गए
सोचते थे शाईरी से फ़ायदा हो जाएगा
अपना अकाउंट नंबर दीजिए ...मुझे तो लगता है आप करोड़पति बन गए है ...इसी शायरी से
"दोस्ती" के साथ तूने "दुश्मनी" तो लिख दिया
क्या तुझे मालूम है "छोटी इता" हो जाएगा ?
आज तक पल्ले नहीं पडा
अब मुझे क्या कह रहा, दो बार तो समझाया था
"रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा"
हम नहीं सुधरेंगे
दो ही मिसरों में तू अपनी बात "वीनस" खत्म कर
चार मिसरों में लिखेगा तो "कतआ" हो जाएगा
बहुत पका दिया...दो ही बहुत हैं ...कतआ.सुनाने का धैर्य नहीं है हममे
गज़ल :- रंग में होली के हल हर मसअला हो जायेगा
रंग में होली के हल हर मसअला हो जायेगा ,
प्रेम से मिल लो गले रिश्ता हरा हो जायेगा |
आज होली है चलो हम माफ करते हैं तुम्हें ,
रोज़ पव्वा पी लिया तो पीलिया हो जायेगा |
श्याम के रंग में रंगी मीरा अभी तक गा रही ,
कब लगायेगा वो रंग मुझको मेरा हो जायेगा |
गांव की गलियों में हँसता खेलता खुश है बहुत ,
कल बड़ा होकर ये बच्चा शहर का हो जायेगा |
तुम मेरे मन को रंगों और मैं तेरे मन को रंगूँ ,
इस तरह ये प्रीत का पौधा बड़ा हो जायेगा |
क्या उन्हें रंगना रंगे रहते जो देखो वर्ष भर ,
रंग पर रंग रंग दिया तो रंग खफा हो जायेगा |
इन त्योहारों का मकसद है कि हम मिलकर रहें ,
शाख से टूटा हुआ पत्ता फ़ना हो जायेगा |
रंग बनावट का उतारो आईने के रूबरू ,
आदमी का आदमी से सामना हो जायेगा |
-अभिनव अरुण
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