For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" बाई , कल से काम पर मत आना "|

" लेकिन मेमसाब , मैंने तो कुछ नहीं किया "|

कहना तो चाहती थी " हाँ , तुमने तो कुछ नहीं किया लेकिन साहब को तो नहीं कह सकती मैं ", लेकिन जुबाँ ने साथ नहीं दिया |

बाई हिकारत से देखती हुई चली गयी , उसके अंदर कुछ दरक सा गया |

मौलिक एवम अप्रकाशित  

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on February 21, 2015 at 5:21pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय उमेश कटारा जी ..

Comment by विनय कुमार on February 21, 2015 at 5:20pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी ..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 21, 2015 at 10:25am

बहुत सुंदर . कम ही शब्दों में बहुत बेहतर लघुकथा. बधाई आदरणीय विनय जी

Comment by umesh katara on February 21, 2015 at 9:06am

सटीक

Comment by विनय कुमार on February 20, 2015 at 6:23pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी..

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 20, 2015 at 5:11pm

आदरणीय हरी जी ..सुंदर लघु रचना ..सच है करे कोई भरे कोई .. वाकई ऐसा ही हो रहा  है 

Comment by विनय कुमार on February 20, 2015 at 3:13pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , प्रतीत तो कुछ ऐसा ही होता है , हा , हा .

Comment by Hari Prakash Dubey on February 20, 2015 at 10:58am

आदरणीय विनय जी, सुन्दर रचना ,बधाई आपको ! लगता है "बाई" सुन्दर रही होगी ..हा हा हा ! सादर 

Comment by विनय कुमार on February 20, 2015 at 1:45am

बहुत बहुत आभार वीर मेहता जी..

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on February 19, 2015 at 9:59pm
आद विनयकुमारजी सुन्दर लघुकथा की बधाई स्वीकार करे। कम से कम शब्दो में कही बेहतरीन रचना।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Jun 7

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service