For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यह है
विचित्रदूनिया
जहाँ सच को मिलती सज़ा
झूठ लेता है मज़ा
यहाँ काटा जाता है
बर्बरिक का सर
ईशा ही चढ़ता है
सूली पर
सुकरातऔर मीरा को
पिलाते है जहर
मारा जाता है
जूलियस सीज़र.
हर पाक दामन को
गंदा करते हैं
कीचड़ डाल कर
जब टूटते है
सामाजिक रिश्ते
बदनाम होते है
फरिश्ते.

मौलिक वा अप्रकाशित

Views: 484

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on March 13, 2015 at 2:37pm

आदरणीय (मित्रगन) सर्वश्री विजय शॅंकर जी,शिज़्ज़ू "शकूर" जी, महर्षि त्रिपाठी जी,नीरज कुमार "नीर" जी, जितेन्द्र जी,कृष्ण मिश्रा "जान"गोरखपुरी जी,हरी प्रकाश दूबे जी, तथा श्याम जी!
"विचित्र दुनियाँ" पर आप सबों की सराहना से अविभूत हूँ,आप सबों का हार्दिक आभार. स्नेह बनाए रखें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 13, 2015 at 8:49am

आदरणीय डॉ विजय प्रकाश सर क्या खूब भावाभिव्यक्ति है बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिये

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 9:35pm
जहां सच अपनी पहचान ढूँढता है ,
झूठ व्यवस्था के सर पर बैठा होता है ,
बहुत सुन्दर, सटीक प्रस्तुति, आदरणीय विजय प्रकाश शर्मा जी , बधाई , सादर।
Comment by maharshi tripathi on March 12, 2015 at 8:42pm

क्या हकीक़त बयां किया है आपने आज की इस दुनिया के बारे में ,,,आपको हार्दिक बधाई आ. Dr.Vijay Prakash Sharma जी |

Comment by Neeraj Neer on March 12, 2015 at 7:58pm

सत्य है ... 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 12, 2015 at 7:12pm

बहुत सुंदर प्रस्तुति,आदरणीय डा.विजय प्रकाश जी. कविता का  अंदाज आक्रोशित है पर मन को भा गया. हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 12, 2015 at 4:17pm

सुन्दर कविता पर हार्दिक बधाईयाँ! आ० डॉक्टर विजय प्रकाश शर्मा जी!

Comment by Hari Prakash Dubey on March 12, 2015 at 3:03pm

आदरणीय डॉक्टर विजय प्रकाश शर्मा जी, सुन्दर प्रस्तुति ,हार्दिक बधाई ! सादर  

Comment by Shyam Mathpal on March 12, 2015 at 2:14pm

Aadarniya Dr.Vijay Prakash Sharma j,

Aapne itihas main jhank kar sahi chitran kiya hai. Aaj bhi ye ho raha hai. 

जब टूटते है 
सामाजिक रिश्ते 
बदनाम होते है फरिश्ते.------ Bahut sundar shabd..... Bahut badhai... aabhar.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service