Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीया ज्योत्स्ना जी लघुकथा के भावों को हुबहू आपने रख दिया है, इसको तनिक संप्रेषणनीय बनाने की आवश्यकता थी, इस सद्प्रयास हेतु बहुत बहुत बधाई.
सुंदर चित्रण।
आदरणीय पंकज जोशीजी,
सूचनार्थ -
अति आवश्यक सूचना :-
२. सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हलकी टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
पुरनका पन्नवा कोई पलटे तब न कुछो लउके...नाही त हम ओरे ओरे आ उहा के छोरे छोरे :-)))))
यह लघुकथा यदि सामाजिक और व्यावहारिक होती तो अवश्य श्लाघनीय होती. आपके प्रयासों केलिए हार्दिक शुभकामनाएँ आदरणीया.
ज्योत्स्ना जी कहानी में कोई पञ्च ही नहीं है किसी वाकये को कथा की रंगत भी देनी पड़ती है . सादर
आदरणीया ज्योत्स्ना जी,
आपकी लघुकथा पढ़कर आनंद आ गया
मुनीम के बहाने आपने मानवीय सदगुणों की पराकाष्ठा को सुन्दर शब्द दिए है
इस सकारात्मक लघुकथा पर आपको बहुत बहुत बधाई
बहुत अच्छी लघुकथा प्रस्तुति आदरणीया ज्योत्स्ना जी. हार्दिक बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |