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सभी साहित्य प्रेमियों को प्रणाम !

साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रथम सप्ताह में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, पिछले माह आप सब ने फाल्गुन के बौराई हवाओं और होली के मदमस्त माहौल में होली के रंग ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर खूब बिखेरे बहुत ही आनंद आया, जिस प्रेम, भाईचारा और दोस्ताना माहौल में होली का आनंद आप सबने लिया वह काबिले तारीफ़ है | पुनः ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रस्तुत करते है ......

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक ६ 

इस बार महा उत्सव का विषय है "दोस्ती"

आयोजन की अवधि :- ५ अप्रैल मंगलवार से ७ अप्रैल गुरूवार तक

महा उत्सव  के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप श्रीमान अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है ...

विधाएँ
  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता 
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद [दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका वग़ैरह] इत्यादि |

साथियों बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि आप सभी के सहयोग से साहित्य को समर्पित ओबिओ मंच नित्य नई  बुलंदियों को छू रहा है OBO परिवार आप सभी के सहयोग के लिए दिल से आभारी है, इतने अल्प समय  में बिना आप सब के सहयोग से कीर्तिमान पर कीर्तिमान बनाना संभव न था |

इस ६ वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो ०५ अप्रैल लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश महा इवेंट के दौरान अपनी रचना पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी रचना एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके  इ- मेल admin@openbooksonline.com पर ०५ अप्रैल से पहले भी भेज सकते है, योग्य रचना को आपके नाम से ही महा उत्सव प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

मंच संचालक

विवेक मिश्र "ताहिर"

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Replies to This Discussion

sundar bhaav
गुरु जी बहुत सुन्दर
मेरे आँखों के नूर हैं वो मेरे हुजुर ,
एक नजर आप भी देखिएगा जरुर ,
हरपाल रहते हैं मर मिटने को तैयार ,
इसी को कहते हैं दोस्ती मेरे यार ,
जो दोस्त की ख़ुशी में ख़ुशी ढूंढे ,
दोस्त की उन्नति पे करता हैं गरूर ,
मेरे आँखों के नूर हैं वो मेरे हुजुर ,
सत्य वचन गुरु जी
Bahut khoob
गुरु जी बहुत सुन्दर
यैसे मिले दोस्त की जग हसाई हो गईं ,
इज्जत तो गया ही संग दौलत भी गई ,
अब दोस्तों की दोस्ती पे एतबार नहीं ,
दोस्ती कर के मैं यारो  येसा बदला ,
उनकी सोहबत में आधी जिन्दगी भी गई ,
दोस्तों यैसे दोस्तों से सावधान रहना हरदम ,
जो मीठी छुरी हो उनसे करना दोस्ती नहीं ,
बहुत बढ़िया गुरु जी...
शिक्षाप्रद !
Kya baat hai Guru ji
गुरु जी बहुत सुन्दर

 दोस्ती

 यह बात काबिले-तारीफ हैं सल्तनत के लिए।
 हमारे कदम बढे सिर्फ मुहब्बत के लिए।।


यह राम-औ-रहीम की सरजमीं हैं दोस्तों।
यहाँ कोई जगह नहीं हैं नफरत के लिए।।

 

दो-चार दिन की हैं मेहमां जिंदगी।
दोस्तों की दोस्ती पे कुर्बान जिंदगी।।

 

बडी मुश्किल से हासिल होती हे मुहब्बत।
गफलत में खो ना जाए नादां जिंदगी।।

 

मुश्किल में जो भी तेरे काम आए।
भूला न देना उनका एहसान जिंदगी।।

 

गुलजार मिले कहीं कांटो भरी डगर।
लेती हैं हर मोड पे इम्तिहान जिंदगी।

 

आगाजे-बादे-सबा-कमतर दोस्ती।
भरी दोपहर चढती परवान जिंदगी।

 

दोस्तों की दोस्ती से महफिल सजी रहें।
यही हैं मेरा धर्म औ ईमां जिंदगी।।

 

बेगरजी दोस्त मिलना है चंदन नामुमकिन।
खुदगर्ज दोस्ती होती बेनिशां जिंदगी।।


                           नेमीचंद पूनिया चंदन ।। 

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"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
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