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बहुत बहुत धन्यवाद आ. ज्योत्सना जी ।
आदरणीया डॉ नीरज जी, बेईमानी के काम में ईमानदारी और अनैतिक काम में नैतिकता .... भ्रष्टाचार के लिए स्वांग करने वालों पर तीखा प्रहार करती बढ़िया लघुकथा हुई है. लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई. रचना पर पुनः उपस्थित होता हूँ. सादर
आपकी खूबसूरत टिप्पणी ने मेरी बहुत हौसला अफज़ाई की है , बहुत बहुत शुक्रिया आ. मिथिलेश वामनकर जी।
आदरणीया डॉ नीरज जी, तथाकथित नैतिक लोगों की नैतिकता की कलई खोलती हुई लघुकथा अपने मर्म को बड़े ही सधे ढंग से शाब्दिक करती है इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई
हाहाहा चोरों का भी ईमान होता है आखिर... इसी भाव को यथार्थ रूप में दर्शाती कथा .. आपकी कथा पर कुछ कहना सूरज को दिया दिखने जैसा है दीदी, फिर भी ये धृष्टता कर रही हूँ...बहुत सुन्दर कथा..
आपका तहे दिल से शुक्रिया आ. सीमा जी। आपकी भावनाओं की कद्र करती हूं पर इतने बड़े - बड़े जुमले प्रयोग मत कीजिए, मैं इस लायक नहीं हूं। पुनः शुक्रिया।
/आखिर नैतिकता भी कोई चीज़ है कि नहीं।/ बहुत बढ़ीया आदरणीय नीरज शर्मा जी । 'नैतिकता' की भी सबकी अपनी-अपनी परिभाषाएं है। व्यवस्था पर कटाक्ष करती यह लघुकथा बहुत ही गंभीर व चिंतनीय प्रश्न चिन्ह उठाने में सफल रही है। सादर शुभकामनाएं
आपकी नज़रें इनायत के लिए तहे दिल से शुक्रिया आ. रवि जी। आजकल नैतिकता की यही परिभाषा प्रचलित है। बिना सुविधा शुल्क के कोई काम नहीं होता पर ये उनकी नैतिकता ही तो है, मेहरबानी ही तो है कि लेकर काम कर देते है।
वाह री नैतिकता .. बेईमानी में इमानदारी .. बहुत खूब आ. नीरज जी | सादर
बहुत बहुत आभार आ. सुधीर जी।
बहुत ही बढ़िया रचना आदरणीया डॉ. नीरज शर्मा जी| बेईमानी में ईमानदारी का पूरा ध्यान रखा जाता है यह भी एक सार्वभौमिक सत्य बन गया है| बधाई स्वीकार करें|
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