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आदरणीय पंकज जी बिलकुल नए तेवर का कथानक लेते हुए लघुकथा में आपने आपने जेहाद की वास्तविक परिभाषा को शाब्दिक किया है. पुनः बधाई इस अद्भुत प्रस्तुति पर.
आदरणीय पंकज जोशी जी, नकरात्मक शक्तियों के मध्य सकरात्मकता की लौ जलाती एक अच्छी लघुकथा हुई है बहुत बहुत बधाई.
आदरणीया नेहा जी बढ़िया लघुकथा हुई है. लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई. रचना पर पुनः उपस्थित होता हूँ. सादर
नेहा जी वक़्त के साथ प्यार की परिभाषा भी बदल रही है नादान परिंदों की सुंदर अभिव्यक्ति ।
आदरणीय नेहा अग्रवाल जी, एक स्वतंत्र कथा के तौर पर आपकी कथा बहुत उम्दा है परन्तु मुझे लगता है कि प्रदत्त विषय 'परिभाषा' के साथ आपकी कथा न्याय नहीं कर पा रही है। एक स्वतंत्र का के तौर पर इस कथा का कथानक व इसका निर्वाहन आपने बहुत ही खूबसूरती के साथ किया है । और कथा का अंत एकदम झंझोर देने वाला हुआ है। इस सशक्त प्रस्तुति हेतु आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं
अच्छी लघुकथा कही है प्रिय नेहा अग्रवाल जी, बधाई !
जिस प्रेम का इंतज़ार हो, वो जाने-अनजाने कहीं बंट जाये तो प्रेम की यह परिभाषा प्रारंभ में समझ में ही नहीं आती| बहुत खूबसूरत रचना|
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