For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सामन्जस्य की परिभाषा (लघुकथा )

प्रतियोगी परीक्षाओं में मिली असफलता से निखिल अवसादग्रस्त हो चला था। पत्नी स्नेहा को मिली नौकरी से गृहस्थी की गाडी सुचारू रूप से चलने लगी थी।लेकिन दोहरी जिम्मेदारी के बोझ तले वह बुरी तरह पीस रही थी। जिसका असर उसके व्यवहार में भी परिलक्षित हो रहा था ।
आज घर में घुसते ही साफ -सुथरा घर , और टेबल पर लगे खाने से आती खुशबू से स्नेहा भौचक्की थी, की निखिल कहने लगा -

"पढ़ते-पढ़ते थक गया था सो खाना बना लिया। शायद तुम्हे पसंद आ जाए। "
पसंद-नापसन्द से परे वह अपने घर में पति-पत्नी के मध्य सामन्जस्य की प्रस्थापित होती नई परिभाषा पढ़ने में मगन थी ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on September 1, 2015 at 4:53pm
आदरणीया लिखना चाहिए
गलती से आदरणीय लिखा गया
क्षमा
सादर
Comment by मनोज अहसास on September 1, 2015 at 4:52pm
नमस्कार आदरणीय अर्चना जी
बहुत बहुत बधाई
बेहतरीन प्रस्तुति
और सार्थक सन्देश
सादर
Comment by Archana Tripathi on September 1, 2015 at 4:21pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , आप मेरी ब्लॉग पोस्ट पर पहली बार आये और सकारात्मक समीक्षा के साथ अमूल्य समय दिया ।हार्दिक आभार आपका ।
आदरणीय मैं सदैव आप सभी वरिष्ठ जनो का मार्गदर्शन चाहूंगी ।
सादर
Comment by Archana Tripathi on September 1, 2015 at 4:16pm
शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी, हार्दिक आभार
Comment by Archana Tripathi on September 1, 2015 at 4:14pm
शुक्रिया आदरणीय कांता जी ,आपके द्वारा अथाह उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 31, 2015 at 6:31pm

दैनिक जीवन के  ठोस यथार्थ को स्वीकारने के क्रम में उठे कदमों का स्वागत होना ही चाहिये. इस भावमय किन्तु जीवन की सच्चाई को रेखांकित करती लघुकथा केलिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अर्चनाजी. 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 29, 2015 at 10:49am

सामंजस्य को को परिभाषित करती  रचना  के लिए बधाई 

Comment by kanta roy on August 28, 2015 at 11:15pm

परिभाषा की सुंदर परिभाषा....  वाह....बहुत खूब लघुकथा हुई है आपकी आदरणीया अर्चना जी .....बधाई स्वीकार करें 

Comment by Archana Tripathi on August 28, 2015 at 12:39pm
पोस्ट को स्वीकृत करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
23 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
23 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
23 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
23 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
23 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
23 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
23 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, अभिवादन एवं हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service