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//भाषा थोड़ी मांज लें तो सोने पे सुहागा। यह निवेदन इस बार तो स्वीकार कर ही लें।//------ यह निवेदन नहीं आदरणीय प्रदीप जी यह आपका उचित मार्गदर्शन है मेरे लिए । मै अवश्य अपनी इन कमजोरियों पर मेहनत करूँगी यह आश्वासन देती हूँ , हालांकि मेरी त्रुटियां मुझे स्वंय में पहचानना ,बडी़ मुश्किल विषय है । सादर ।
बडी़ मुश्किल विषय है = बड़ा मुश्किल विषय है
कथा पर सार्थक मार्गदर्शनयुक्त टिप्पणी देकर मुझे अनुग्रहित करने के लिए सादर नमन आपको आदरणीय प्रदीप नील जी।
आपके कहे को मैं हमेशा याद रखूंगी मेरी आगामी लघुकथा लिखते वक़्त आदरणीया अर्चना जी , आभार इस सार्थक मार्गदर्शन के लिए।
//"पापा मेरी कल की फ्लाइट है ,सुबह पहुंच रही हूँ। माँ को कहियेगा पीली दाल और चावल बनाकर रखे "//
बाकमाल पंच लाइन है जिसने साधारण सी दिखने वाली लघुकथा का प्रभाव द्विगुणित कर दिया I इस उत्तम प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है आ० कांता रॉय जी I
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अलबत्ता निम्नलिखित पंक्तियों को थोडा और कसने की आवश्यकता है
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//" अब तुम भी मत शुरू हो जाना , उनकी तपस्या····व्हाट ? सभी माँ -बाप इतना करते हैं,कुछ भी ख़ास नहीं किया है ·····और मेरी लाईफ़ का क्या ? वीकेंड में आउटिंग , बाहर लंच ,डिनर और अपने को मेन्टेन रखने के बाद बचता कहाँ है कि·········?
मेरे भी अपने सपने है । उनकी आकाँक्षाओं के बोझ तले अपने सपनों का गला तो नहीं घोंट सकती हूँ ना ! "//
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//"ओह नो , घर जाकर मूड खराब नहीं करनी है ।"// ओह नो , घर जाकर मूड खराब नहीं करना है ।
जी, सर जी , मैं आपके द्वारा चिन्हित पंक्तियों को अवश्य एक बार फिर से कसने की कोशिश करुँगी। व्याकरण अशुद्धि सिर्फ एक ? यानी मैं सुधार की तरफ अग्रसर हूँ। राहत हुई। सादर नमन ! :))))))
हार्दिक बधाई आदरणीय कांता जी!भौतिक वाद के अवसाद में डूबी नयी पीढी को एक नये विचारवान मार्ग पर लाती बेहतरीन लघुकथा!आज की पीढी जने क्यूं मॉ बाप को बोझ मान बैठी है!शनदार प्रस्तुति!
हृदयतल से आभार आपको आदरणीय TEJ VEER जी।
. kanta roy जी आपकी इसी टिप्पणी में गलतियों का स्कोर
फिर से = फिर
राहत हुई = राहत मिली
:)
जिन बच्चों को मातापिता तिल तिल बड़ा होते देखते हुए खुश होते हैं अपना सुख भी भूल जाते हैं उन्हें बड़ा करने में वो ऐसे निष्ठुर कैसे हो सकते हैं कहाँ परवरिश में कमी आ रही है जो कुछ बच्चे ऐसे संवेदन हीन होते जा रहे हैं उनको वो स्वतंत्रता भी तो उन्ही से मिली है
किन्तु उसी के सामने दूसरा उदाहरण प्रस्तुत कर आपने इस कहानी का कद और ऊँचा कर दिया सराहनीय है बहुत बहुत बधाई आ० कांता जी |
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