For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-नूर - माँगते इंसाफ़ किस से बिस्मिलों के वास्ते

२१२२/२१२२/२१२२/२१२ 

माँगते इंसाफ़ किस से बिस्मिलों के वास्ते
अदलिया थी दिल बिछाए क़ातिलों के वास्ते.
.
रास्ते आपस में उलझे, मंजिलें पिन्हा हुईं,     
रास्ते गरचे बने थे मंज़िलों के वास्ते.
.
साहिलों पर कश्तियाँ महफूज़ रहती हैं मगर
कश्तियाँ कब थी बनाईं साहिलों के वास्ते.
.
इक निगाहे-शोख से हम ने लड़ाई थी नज़र
चंद क़िस्से छोड़ आए महफ़िलों के वास्ते.
.
कुछ तेरा ग़म और कुछ अग्यार की तंज़-ओ-निगाह  
और भी आसाँ हुए हम मुश्किलों के वास्ते.
.
हम पुराने लोग हैं ख़ुद में अधूरापन लिए
छोड़ जाएँगे ये दुनिया कामिलों के वास्ते. 
.
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 631

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on January 17, 2016 at 10:54am
बहुत सुन्दर ग़ज़ल, आदरणीय..
Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 14, 2016 at 9:27am

शुक्रिया आ. शेख साहिब 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 14, 2016 at 9:27am

शुक्रिया आ. रवि जी 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 13, 2016 at 2:54pm
वाााह जनाब...
//साहिलों पर कश्तियाँ महफूज़ रहती हैं मगर
कश्तियाँ कब थी बनाईं साहिलों के वास्ते.//
// हम पुराने लोग हैं ख़ुद में अधूरापन लिए
छोड़ जाएँगे ये दुनिया कामिलों के वास्ते. //... बेहतरीन भावाव्यक्ति... बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय निलेश शेव्गांवकर 'नूर' साहब!
Comment by Ravi Shukla on January 13, 2016 at 2:31pm

वाह वाह क्‍या खूब ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय नीलेश जी पढ़कर मजा आ गया । सभी शेर कमाल है बधाई स्‍वीकार करें ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 13, 2016 at 8:47am

शुक्रिया आ. महर्षि जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 13, 2016 at 8:47am

शुक्रिया आ. गिरिराज जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 13, 2016 at 8:46am

शुक्रिया आ. समर कबीर साहब 

Comment by maharshi tripathi on January 12, 2016 at 7:20pm
बहुत सुंदर गज़ल है,बधाई आपको आ नीलेश जी !!!
Comment by maharshi tripathi on January 12, 2016 at 7:19pm
बहुत सुंदर गज़ल है,बधाई आपको आ नीलेश जी !!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर नज़र ए करम का देखिये आदरणीय तीसरे शे'र में सुधार…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरनाजी, कई तरह के भावों को शाब्दिक करती हुई दोहावली प्रस्तुत हुई…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उमर  का खेल ।स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।खूब …See More
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
3 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए सहृदय धन्यवाद और बेहतर हो गये अशआर…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो…"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बेहद ख़ूबसुरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय निलेश सर मतला बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आ. आज़ी तमाम भाई,अच्छी ग़ज़ल हुई है .. कुछ शेर और बेहतर हो सकते हैं.जैसे  इल्म का अब हाल ये है…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आ. सुरेन्द्र भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है बोझ भारी में वाक्य रचना बेढ़ब है ..ऐसे प्रयोग से…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेंदर भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई आपको , गुनी जन की बातों का ख्याल कीजियेगा "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय आजी भाई , ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है , दिली बधाई स्वीकार करें "
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service