For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -नूर-शायरों सा मिजाज़ रखता है.

२१२२/१२१२/२२ 

अपने दिल में वो राज़ रखता है,
शायरों सा मिजाज़ रखता है.
.
अब सियासत में आ गया है तो 
हर किसी को नवाज़ रखता है.
.
बात करता है गर्क़ होने की,
और कितने जहाज़ रखता है.
.
दिल से देता है वो दुआएँ जब
उन पे थोड़ी नमाज़ रखता है.
.
जानें कितनों से दिल लगा होगा
दिल में ढेरों दराज़ रखता है.     
.
ये सदी और ये  वफ़ादारी
जाहिलों से  रिवाज़ रखता है.
.
हर्फ़ उसके तो हैं ज़मीनी, पर
वो तख़य्युल फ़राज़ रखता है.
.
ये करम है ख़ुदा तेरा मुझ पर
तू मुझे बे-नियाज़ रखता है.
.
दर्द के सिलसिले मुसलसल हैं
‘नूर’ सब का रियाज़ रखता है.
.
निलेश "नूर"
.
मौलिक अप्रकाशित 

Views: 576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Ashery on January 29, 2016 at 3:07pm

अति उत्तम गजल आपको दिल से बधाई स्वीकार हो 

Comment by Ravi Shukla on January 29, 2016 at 11:29am

आदरणीय निलेश जी, शानदार  ग़ज़ल है. छोटी बह्र बहत बढि़या शेर कहे है दिली दाद कुबूल करें

Comment by Ram Ashery on January 22, 2016 at 11:11pm

बहुत अच्छे गजल आपको बहुत बधाई स्वीकार हो 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 20, 2016 at 12:07am

आदरणीय निलेश जी, शानदार और बेमिसाल ग़ज़ल है. छोटी बह्र पर आपका जादू देखते ही बनता है. बस दाद दाद ...दिल से दाद 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 19, 2016 at 6:09pm

शुक्रिया आ. सतविंदर जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 19, 2016 at 6:09pm

शुक्रिया आ. लक्ष्मण जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 19, 2016 at 6:08pm

शुक्रिया धर्मेन्द्र जी 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 19, 2016 at 5:27pm
बहुत ख़ूब।बधाई आदरणीय।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 19, 2016 at 6:44am

ये सदी और ये  वफ़ादारी
जाहिलों से  रिवाज़ रखता है.

क्या कहने ......

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on January 17, 2016 at 10:56pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय नीलेश जी, दाद कुबूल कीजिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service