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जनाब समर कबीर साहिब आदाब , रंग पर आधारित अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
प्रस्तुति वाकई जबरदस्त है।बहुत बहुत बधाई आपको ज़नाब समर कबीर साहब।मुझे भी वन्दनीया कांता जी जैसा ही आभास हो रहा है।और आदरणीय सुधीजनों प्रतिक्रियाओं का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा।बहुत कुछ सीखाएगी आपकी यह रचना।
बहुत ही करारा प्रहार, कांता जी। अंतिम पंक्ति में जो व्यंग्य है , कमाल है । बधाई स्वीकारें। कुछ भाषाई भूलें हैं , समय निकाल सुधार लीजिएगा।
आप लघुकथा विधा पर हाथ आज़मा रहे हैं , देख कर भला लग रहा है ,आदरणीय। बहुत कम शब्दों के सहारे दो स्थितियों की तुलना करके आपने कई काल-खण्डों को समेट दिया ,यह आपकी क्षमता है।
अपनी रचना को इस रूप में देखकर बताएं आ० कांता जी, कुछ अंतर नज़र आ रहा है या नहीं? रचना पर बात बाद में करता हूँ...
"वाह शरद जी, आप तो पहुँचे हुए तीरअंदाज़ निकले! मान गये उस्ताद!"
"मतलब? क्या उस्तादी की मैने? "
"अरे वही, अपनी कार्यकर्ता कुसुमा देवी जी वाली केस में जो तटस्थता दिखाई है आपने, ना सही का साथ दिया, ना ही गलत का! यानि आपके तो अब दोनों हाथ में लड्डू है।"
"यह सब फालतू के चर्चे है, छोडिए कोई दूसरी बात कीजिएI"
"फालतू का चर्चा कहाँ, आप तो छा गये है! सुना है कि, विरोधी पार्टी की वह कार्यकर्ता भी अब आपके गुण गा रही है।"
"अब चुप भी रहिये मियाँ, यह राजनीति का रंग है, टिके रहने के लिए वक्त के हिसाब से बदलते रहने की यहाँ जरूरत होती है।"
"लेकिन, इन सबमें आपकी अपनी कार्यकर्ता कुसुमा देवी का क्या? वह तो आप पर भरोसा करती है। आपके इस तटस्थता से, क्या उन पर असर नहीं पडेगा? "
"अरे वो? ऊँह, कोई असर नहीं.... वहाँ देखिए, दरवाजे पर बँधा मेरा टॉमी, दूध-रोटी और जरा सी पुचकार ....,
बस यही खुराक अपनी कुसुमा देवी का भी हैI"
क्या कहने हैं आ० समर कबीर जीI समय के साथ परिवर्तित होती परिभाषाओं को बेहद खूबसूरत तरीके से शब्द दिए हैं, हार्दिक बधाई स्वीकार करेंI
जनाब योगराज प्रभाकर जी आदाब , आपकी प्रतिक्रिया पाकर संतुष्ट हुआ , रचना की सराहना और उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद। एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही है कि मोहतरमा कांता रॉय जी की पोस्ट और मेरी पोस्ट पर आए कमेंट मिक्स क्यों हो रहे है ? आपके माध्यम से मंच को बताना चाहता हूँ कि आज और कल घर में भतीजी की शादी के कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण मंच पर पूरा समय नहीं दे पाउँगा , इसके लिये मंच से क्षमा प्रार्थी हूँ।
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