Tags:
Replies are closed for this discussion.
दो बच्चों की अनुपम कहानी ,एक बाबूजी, दूसरी गुगली मुगली पोती , रोज़मर्रा की आस पास दिखने वाली बातों को इतनी सुन्दर रचना में आप ही ढाल सकते हैं , बधाई आदरणीय ,सादर
रचना को मान व समय देने के लिए सभी विद्वान् साथियों का तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँI
टंकण की गलतियों पर ध्यनाकर्षण हेतु सस्नेह आभार भाई सतविंदर कुमार जीI संकलन में इन्हें दुरुस्त कर दूँगाI
दिल से शुक्रिया आ० नीता कसार जी I
वाह्ह्ह्ह अब धीरे धीरे उनके चेहरे के पीलेपन पर पोती की फ्रॉक का लाल रंग चढ़ना प्रारंभ हो चुका थाI
आपकी कहानी पढ़ते पढ़ते मुझे अपने घर जैसा ही लग रहा था जिसमे नातिन व् पोते के लिपटते ही हम लोग दुनिया की सब बाते भूल जाते हैं कितना सुकून मिलता है उनके एक स्पर्श से ही आपने कितनी सुन्दरता से ये भाव इस कहानी में पिरोये हैं
उम्दा लघु कथा हेतु बहुत- बहुत बधाई |
हार्दिक आभार आ० राजेश कुमारी जी I
आदरणीय योगराजभाईजी, आपकी प्रस्तुत लघुकथा अपनी संवेदना के कारण आपकी पूर्व प्रस्तुतियों से अलग ही दिख रही है. आपका निराला ही ’रंग’ देख रहा हूँ. यह रंग आपकी प्रस्तुतियों को कितना जीवंत करेगा, यह सोचकर ही मैं रोमांचित हो रहा हूँ.
"अले अले अले! मेरी गुगली मुगली! मेरी म्याऊँ बिल्ली! कहाँ चली गई थी तू? दादू जी कब से तुझे ढूँढ रहे थेI"
इस पंक्ति में कितनी ताकत है यह बस समझने तथा तदनुरूप जीने की बात है.
ऐसी भावमय किन्तु यथार्थ को अभिव्यक्त करती हुई लघुकथा केलिए हार्दिक धन्यवाद व सादर शुभकामनाएँ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |