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आभार रतन कुमार जी .
आ० शेख़ उस्मानी जी,आपको लघु कथा सन्देश परक लगी इसके लिए हार्दिक आभार दरअसल ये आर्मी के माहौल पर लिखी गई है जूनियर की वाइफ सीनियर की वाइफ को मिसेज सो एन सो करके ही बोलती हैं जो इस बात को समझ जाएगा वो इस लघु कथा को आराम से समझ पायेगा मुझे नहीं लगता कि स्पष्टता की कही कोई कमी है
फौजी ज़िन्दगी में रंग का मतलब कंधे में लगने वाले तमगे हैं ,यहाँ पर नीलू का रंग बाजी मार ले गया ,सही कहा है ,ऊपर वाले की लाठी में आवाज़ नहीं होती है, बधाई आपको इस रचना पर आदरणीया राजेश कुमारी जी
आप ने सही समझा प्रतिभा जी यहाँ नीलू का रंग बाजी मार ले गया क्यूंकि नीलू बाहरी रंग को नहीं सीरत को बड़ा समझती थी इसलिए बाजी जीत गई |हार्दिक आभार आपका
आदरणीया ममता जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. मैं रचना के मर्म तक नहीं पहुँच पाया. सादर
शहीद की पत्नी का रंगहीन सपना , भारत माता के मुट्ठी में ,यानि उसके आस्तित्व में समाहित शहीद ही तरह अचानक बेटे के हाथों फिर से रंगीन हो उठा। प्रतीकों में कही गयी ये लघुकथा बेहद खूबसूरत बन पड़ी है आदरणीय ममता जी । बधाई कबूल करें।
बहुत खूब, बहुत प्रदत्त विषय से न्याय करती हुई सुन्दर लघुकथा हुई है आ० ममता जी, हार्दिक बधाईI
ममता जी , आपकी रचना ने मेरे इस विश्वास को संबल प्रदान किया कि गोली मोर्चे पर लड़ रहे सैनिक को नहीं बल्कि उसकी पत्नी को जा कर लगती है। और इन वीरों की पत्नियां जाने किस खुशबूदार मिटटी की बानी हैं कि इस सबके बावजूद अपने बेटे को उसी उच्च मार्ग पर भेजने को तत्पर रहती हैं।
आपकी कहानी की नायिका को सलाम। यानि आपको सलाम। इतनी सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई।
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