For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बरसात के पानी ने -ग़ज़ल (लक्ष्मण धामी मुसाफिर' )

2211     2222     2112            22
*************************************


हर हद को ही  तोड़ा है  बरसात के पानी ने
किस बात  को माना  है बरसात के पानी ने /1

उस वक्त तो सूखा था जीवन क्या हरा होता
अब  गाँव  डुबाया  है  बरसात  के पानी ने /2

ये  जश्न  की  बेला  है  सूखे  की  विदाई की
नदिया को भी  न्योता है बरसात के पानी ने /3

मत खेत की  बोलो तुम भाग्य ही ऐसा  था
घर  द्वार भी  रौंदा है  बरसात  के पानी ने /4

कल रात सुना है  फिर सूखे की शिकायत पर
किस किस को न तोड़ा है बरसात के पानी ने /5

पहले से ही क्या कम था भीगा हुआ दामन जो
अब  और  भिगाया  है  बरसात  के  पानी ने /6

दुखती  हुई  आँखों से  मिलने पे कहा इतना
‘मुझसे भी  तो नाता है’ बरसात  के पानी ने /7

मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

Views: 735

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:27am


आ0 भाई गोपाल नारायन जी हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:27am


आ0 भाई सलीम रजा जी प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:26am


आ0 भाई गिरिराज जी उपस्थिति से गजल का मान बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद । आपकी और भाई मिथिलेश जी की बात से मैं भी पूर्णतः सहमत हूँ ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:26am


आ0 भाई तेजवीर जी स्नेह के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:26am


आ0 भाई मिथिलेश जी प्रशंसा और उससे बढकर बेहतरीन सलाह के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:26am


आ0 भाई श्याम नरायन जी, प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:25am

आ0 भाई समर कबीर जी उपस्स्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद । त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 23, 2016 at 7:00pm

वा वाह क्या बात है , सुन्दर . 

Comment by SALIM RAZA REWA on January 22, 2016 at 7:52pm
खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 21, 2016 at 9:48pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्छी गज़ल कही है हार्दिक बधाइयाँ आपको । बहर के मामले मे मै भी आ. मिथिलेश भाई जी से सहमत हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। भाई अमित जी के सुझाव भी अच्छे हैं।…"
12 minutes ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"जी भाई  मैं सोच रही थी जिस तरह हम "हाथ" ,"मात ",बात क़वाफ़ी सहीह मानते…"
16 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"पाँचवें शेर को यूँ देखें वो 'मुसाफिर' को न भाता तो भला फिर क्योंकर रूप से बढ़ के जो रूह…"
36 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
44 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. रचना बहन, तर की बंदिश नहीं हो रही। एक तर और दूसरा थर है।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"कर्म किस्मत का भले खोद के बंजर निकला पर वही दुख का ही भण्डार भयंकर निकला।१। * बह गयी मन से गिले…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार बहुत अच्छा प्रयास तहरी ग़ज़ल का किया आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ही ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये एक से एक हुए सभी अशआर और गिरह…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये मक़्ता गिरह ख़ूब, हर शेर क़ाबिले तारीफ़…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"2122 1122 1122 22/112 घर से मेले के लिए कौन यूँ सजकर निकलाअपनी चुन्नी में लिए सैकड़ों अख़्तर निकला…"
5 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, तरही ग़ज़ल कहने के लिए हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service