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एक शानदार व भावनात्मक लघुकथा आदरणीय नयना आरती जी .
विषय से न्याय करती स्थिती का बहुत ही सूक्ष्म व मार्मिक चित्रण करने में सफल रही है लघुकथा । आपको असीम शुभकामनाएं। यहां मैं अर्चना जी की बात से सहमत हूं । लघुकथा में लेखक की उपस्थिति एक अवांछनीय स्थिती है। रचना में लेखक की स्थूल उपस्थिती रचना की संप्रेषणीयता को समाप्त कर देती है, उसे एक अच्छी रचना नहीं बन जाने देती। सादर ।
मोहतरमा नैना आरती साहिबा , मनोभावना के रंग में रंगी अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आदरणीया नयना जी, बहुत मार्मिक और आपसी विश्वास के महत्त्व को दर्शाती बढ़िया लघुकथा कही है आपने. हार्दिक बधाई
लेखिका आपबीती न सुनाये बल्कि लघुकथा कहे तो प्रस्तुति जबरदस्त मानिए
आभार आदरणिय मिथिलेश जी .अगली रचना मे यह गलती नहीम दोहराई जाएगी.
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