For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-12 (विषय: तस्वीर)

आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,

सादर वन्दे।
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के 12 वें अंक में आपका स्वागत हैI "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पहले ग्यारह आयोजन बेहद सफल रहे। नए पुराने सभी लघुकथाकारों ने बहुत ही उत्साहपूर्वक इनमें सम्मिलित होकर इन्हें सफल बनाया कई नए रचनाकारों की आमद ने आयोजन को चार चाँद लगाये I इस आयोजनों में न केवल उच्च स्तरीय लघुकथाओं से ही हमारा साक्षात्कार हुआ बल्कि एक एक लघुकथा पर भरपूर चर्चा भी हुईI  गुणीजनों ने न केवल रचनाकारों का भरपूर उत्साहवर्धन ही किया अपितु रचनाओं के गुण दोषों पर भी खुलकर अपने विचार प्रकट किए, जिससे कि यह गोष्ठियाँ एक वर्कशॉप का रूप धारण कर गईं। इन आयोजनों के विषय आसान नहीं थे, किन्तु हमारे रचनाकारों ने बड़ी संख्या में स्तरीय लघुकथाएं प्रस्तुत कर यह सिद्ध कर दिया कि ओबीओ लघुकथा स्कूल दिन प्रतिदिन तरक्की की नई मंजिलें छू रहा  हैI यह कहना कोई अतिश्योक्ति न होगी कि यह सभी आयोजन लघुकथा विधा के क्षेत्र में मील के पत्थर साबित हुए हैं। तो साथियो, इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है....
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-12 
विषय : "तस्वीर"
अवधि : 30-03-2016 से 31-03-2016 
(आयोजन की अवधि दो दिन अर्थात 30 मार्च दिन बुधवार से 31 मार्च 2016 दिन गुरूवार की समाप्ति तक)
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  30 मार्च दिन बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२. सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
४. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
५. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
६. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
७. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
८. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
९. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
१०. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
११. रचना/टिप्पणी सही थ्रेड में (रचना मेन थ्रेड में और टिप्पणी रचना के नीचे) ही पोस्ट करें, गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी बिना किसी सूचना के हटा दी जाएगी I
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 17113

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

हर कथा आपकी नि:शब्द कर देती है ।बधाई आपको आद०योगराज प्रभाकर जी ।

आपके उत्साहवर्धन का दिल से आभार आ० नीता कसार जी I

वाह ! क्या खूब  प्रतीकात्मक लघुकथा  हुई  है  ये  सर  जी आपकी , आपकी लेखनी ने  हम  सबको  फिर  से  चमत्कृत कर  दिया  है  . पीपल ,देवदार और मंदिर ,गिरजाघर और मस्जिद  को प्रतीक  बनाकर जो कथ्य को  संदर्भित किया  है वो  सच  में  अपरिकल्पनीय  है . कथा  की  महीन  बुनावट में  आपकी लेखन कौशल  की बानगी यहाँ  देखते  ही  बनती  है  .

लेकिन  सर  जी आप  ही  कहते  है  कि कथ्य  को  तथ्य  का  कुशन मिलना  चाहिए  तो  क्या  हमारे  देश  की आज  की  

आर्थिक प्रगति  के दौर  में  जहां भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रुप में उभरकर आया है और  भारत में सूचीबद्ध कंपनियों की संख्या अमेरिका के पश्चात दूसरे नम्बर पर है। ऐसे वक्त में   कथा  को  इस  तरह  से  संदर्भित  होना  सही  है क्या  ? 

फ्लेश बैक में  इस  सन्दर्भ  को  व्यख्यादित  किया  जा  सकता  है  क्योंकि उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू करने  से  पहले  देश में  ऐसी  परिस्थितियाँ  तो  जरूर  थी  लेकिन देश  की  वर्तमान स्थिति  पर इस  तरह  यूनानियों  द्वारा  तिरस्कार  किया  जाना   सही  नहीं  लगता  है . और  कारगिल युद्ध में  भी  कई आम्भी  सामने  आये  थे  .

सादर अभिनन्दन  आपको .  

आप जिस चीज़ की बात कर रही हैं वह महज़ ऊपरी लेबल है मोहतरमा कांता रॉय जी, हकीकत नहीं हैI शायद आप इस तथ्य से गाफिल हैं कि किसी समय विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा 40 प्रतिशत से अधिक हुआ करता था, और आज यह 4 प्रतिशत से भी कम हो चुका हैI और हाँ, कथ्य और तथ्य के कुशन वाली बात टिप्पणी देते हुए भी लागू होती हैI बहरहाल, आपने इतने मनोयोग से इतनी "वैदुश्यपूर्ण" प्रतिक्रिया दी, उसके लिए आपका ह्रदयतल से आभारी हूँI

सर जी क्षमा चाहूँगी अपनी इस बात के लिए ,लेकिन जहाँ भारत को महाशक्ति बनने के कगार पर दुनिया देखती है । दूसरे बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष मदद की गुहार करते है भारत से ।
आज के संदर्भ में तो यूनानियों द्वारा हमारे देश को तिरस्कृत नजर से देखना यथार्थ की कसौटी पर कहीं से भी सही नहीं है ।
सर जी , निवेदन है आपसे कि इसे महज़ कथा पर मेरा निष्पक्ष प्रतिक्रिया मानियेगा ।

बहुत शानदार रचना विषय पर, पंच लाइन जबरदस्त है| जिसे अपनों ने ही लूट लिया हो, उसे गैर क्या लूटेंगे, बहुत सटीक| हर बार की तरह एक और शानदार प्रस्तुति आ योगराज सर, बहुत बहुत बधाई आपको 

रचना पर उपस्थित होकर मेरा मनोबल बढाने हेतु हार्दिक आभार भाई विनय कुमार सिंह जीI

इतिहासिक विषय या पात्र को वर्तमान से जोड़कर रचना को प्रसतुत करना और उसे भटकने से बचाना बहुत ही हिम्मतभरा लेखन होता है और इसे अगर साकार करने की सामर्थ्य किसी में हो सकती है तो भाई योगराज जी में। रचना पूरी ततपरता और प्रवाह के साथ अपने कटाक्ष और लक्ष्य को भेदती हुयी अंत तक पहुचती है और पाठक को चमत्कृत करती चलती है। हालांकि कथा का अंत का कुछ पहले से आभास होने लगता है लेकिन फिर भी जिसे उम्दा ढंग से रचना में इतिहास को वर्तमान से जोड़कर लक्ष्य किया गया है वो काबिलेतारीफ है। इसे उम्दा कृती के लिए तहे दिल से अनुज की ओर से बधाई स्वीकार करे। सादर।

आपकी बधाई सर आँखों पर भाई वीर मेहता जी, आपकी सरहना से मेरा मनोबल बढा, दिल से शुक्रियाI वैसे यह वही 1989 में लिखी पंजाबी लघुकथा है, जिसकी स्कैन्ड कॉपी आपको कुछ महीने पहले दिखाई थीI याद आया?

जनाब योगराज प्रभाकर जी,आदाब,आपकी लघु कथा इतनी अंत में क्यूँ आती है ? बहुत ख़ूब, बेमिसाल,लाजवाब लघुकथा के लिये दिल की गहराइयों से बधाई स्वीकार करें ।

मोह्रतरम समर कबीर साहिब जी, मैं पहले अन्य साथिओं को रचना पोस्ट करने का अवसर देना पसंद करता हूँI इसीलिए अपनी रचना बाद में डालता हूँI आपने रचना को सराहा, आपका बहुत बहुत धन्यवादI 

आदरणीय योगराज सर आपने बहुत सधे हुए ढंग से आज के भारत की सच्ची तस्वीर को शाब्दिक किया है. वाकई यह देश अपनों के हाथों ही लुट चूका है ऐसे में लूटने के लिए कोई यहाँ क्या आये. शानदार लघुकथा. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service