आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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वाह आदरणीय भीड़ अक्सर तमाशाई ही होती है ।सादर बधाई ।
ham sub ko darpan dikhati sundar katha, sab tamashbin
जनता तो हमेशा से ही तमाशबीन ही रही है, लेकिन जब जब उसने कुछ सोचा तो बहुत कुछ बदल दिया है उसने| विषय पर अच्छी प्रस्तुति, बधाई आपको
जनाब विजय शंकर साहिब , क्रांति तब ही आती है जब इंसान तमाशा गर को तमाशबीन बन देता है , प्रदत्त विषय पर आधारित सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
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