आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
सत्ता के आगे आदमी हर काल में तमाशबीन ही रहा है , कभी मजबूरी में ,कभी अज्ञानतावश और कभी जान बूझ कर.. सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय सादर
आ.विजय शंकर जी हुकूमत तो हुकूमत होती हैऔर आदमी वाकई सिर्फ़ तमाशबीन बन उसे देखता रहता है.
राजनीति का सच दर्शाती रचना ! बधाई प्रेषित है आदरणीय
आदरणीय विजयशंकर जी, आपने जन-क्रान्ति के बरअक्स एक नयी चेतना साझा की है. यह कितना समीचीन है इस पर बहस हो सकती है. लेकिन जिस आत्मीयता से आपने इसके कथ्य के लिए ’मुग़लेआज़म’ का वातावरण लिया है, वह रुचिकर है. आपकी भावदशा अपने आप में तार्किक होती है. इसका हम सभी सम्मान करते हैं.
सादर शुभकामनाएँ
आदरणीय विजय जी, आज आम आदमी हुकूमत को बनाने और बिगाड़ने में तमाशबीन का किरदार ही नहीं निभाता है अपितु उसमें सम्मिलित होता है या कर्ता रहता है, वैसे कथा में मुगले आजम की चर्चा ने फ़िल्म की याद दिला दी. सादर.
जनता तो हमेशा और हर काल में तमाशबीन ही रही है | विषय पर सुंदर लघु कथा हुई है | यद्यपि तमाशबीन जनता जब मुखर हो जाती है तो सत्ता का तख्ता भी वही तो पलटती है | अच्छी लघुकथा के लिए बधाई डॉ. विजय शंकर जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |