आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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शानदार कथा हुई है आदरणीय शुभ्रांशु जी । हार्दिक बधाई ।
आदारणीया कल्पना जी, कथा पर आने और विचार देने के लिये आभार. सादर.
आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, कथा पर विचार देने के लिये आभार. तमाशबीन भी समय के साथ साथ बदल जाते हैं. सादर.
बहुत सुंदर तरीके से आपने विषय एवं संदेश को कहा है ।बधाई आदरणीय।
आदरणीय पवन जी, आपका लिंक सुनील जी के साथ लग गया है. कथा पर आने के लिये आभार. सादर.
आदरणीय सुनील जी, एक अपराधी मौका मिलते ही दूसरों पर अपनी भडा़ंस निकालने लगता है. कथा पर अपने विचार देने के लिये आभार. सादर.
बहुत सुन्दर लघुकथा है भाई शुभ्रांशु जी, विषय को बखूबी परिभाषित किया है - बधाई स्वीकारें I
आदरणीय योगराज सर, कथा को विषयपरक होने के अनुमोदन से मन में विश्वास जम गया. कथा के शिल्प पर अनुमोदन का इंतजार रहेगा.सादर.
आदरणीय पंकज जी, कथा पर आने के लिये आभार.सादर.
'तमाशबीन' विषय को पूर्णरूपेण सार्थक करती सशक्त व प्रभावशाली कथा के लिए आपको सादर शुभकामनाएं। इस आयोजन कि श्रेष्ठ कथाओं में एक इस कथा की बनावट व बुनावट सराहनीय है। सादर
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