आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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बहुत अच्छी रोचक लघु कथा बुन्देलखंडी संवाद सरल होने के कारण समझ भी आ गए आपको हार्दिक बधाई आ० सुकुल जी
आदरणीया ! क्षेत्रीय बोली में कही गयी कथा को मंच पर मान्यता देने और सराहने के लिए विनम्र आभार।
आपकी रचना ने प्रदत्त विषय से काफी हद तक न्याय तो किया है, लेकिन यह रचना लघुकथा नही कही जा सकती, क्योंकि इसकी ट्रीटमेंट एक संस्मरण की तरह हो गई है I इसी कथानक को आधार बनाकर एक अच्छी लघुकथा कहने की गुंजाइश थी आ० डॉ टी आर सुकुल जी I बहरहाल, प्रतिभागिता हेतु अभिनन्दन स्वीकारें I
विनम्र आभार आदरणीय समर कबीर साहब ।
विनम्र आभार आदरणीया !
सरल भाषा में कही है इस कथा को आदरणीय टी आर शुक्ल जी । हार्दिक बधाई ।
भूमिका बहुत बड़ी हो गई आदरणीय,विषय एवं शीर्षक को साकार करती प्रस्तुती हेतु बधाई।सादर ।
विनम्र आभार आदरणीया !
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