आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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आदरणीय योगराजभाईजी, आपसे इस विशिष्ट विधा के कथ्य-विन्यास पर मिली मुखर प्रशंसा आह्लादकारी तो है ही, एक सुखद अनुभूति का भी कारण हो रही है कि इस विधा के प्रस्तुतीकरण में बना मेरा प्रयास सदिश और संयमित है. अर्थात, अब हम भी आपकी कार्यशालाओं में अपनी कथा के साथ उपस्थित हो सकते हैं.. हा हा हा..
इस अनुमोदन के लिए हृदयतल से आभार आदरणीय .. सादर
आदरणीय विजय शंकर जी, आपने सही कहा है कि ऐसा वातावरण मात्र कॉर्पोरेट जगत की बपौती नहीं है. कमोबेश यह हाल हर व्यवस्था में हैं. आपकी संवेदनशीलता तथा पारखी नज़र के प्रति मन में आदर भाव हैं.
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय
आदरणीय सभी को आयना दिखाती प्रभावी कथा . शिल्प कैसा हो उसके लिये हम जैसों के लिये आदर्श, सादर बधाई उत्तम कथा के लिये
कार्पोरेट क्षेत्र में वर्षों से जमें तथाकथित दिग्गजों की मानसिकता का सजीव चित्रण करती इस कथा हेतु अनेकानेक बधाइयाँ स्वीकार करें आदरणीय सौरभ पांडेय जी।
कितने ही षड्यंत्र रचे जायें पर ये मेंढ़कियां पुरुष अहं को तोड़ती सर्वोच्च पदों पर आसीन हो रही है।बैंकिंग एवं अन्य क्षेत्र जीते जागते उदाहरण हैं।प्रभावी संदेश।
सीखने के लिए एक प्रतीकात्मक कथा प्रदान करने हेतु सादर धन्यवाद ।
//कितने ही षड्यंत्र रचे जायें पर ये मेंढ़कियां पुरुष अहं को तोड़ती सर्वोच्च पदों पर आसीन हो रही है //
नमन आदरणीय पवन जैन साहब.
आपने प्रस्तुति के मर्म को समझा, मैं अभिभूत हूँ. सादर धन्यवाद
आदरणीय राजेन्द्र गौड़ साहब, प्रस्तुति पर आपसे मिला अनुमोदन मुग्धकारी है.
सादर धन्यवाद
जनाब समर साहब, आपके इस मुखर अनुमोदन से हम अभिभूत हैं. चूँकि, यह लघुकथा एक विशिष्ट दर्ज़ा के लोगों के पक्ष को सामने लाती हुई है, इसी कारण उनकी भाषा और उनके इंगित अत्यंत विशिष्ट हैं. आपने इन विन्दुओं को ध्यान में रखा अतः हृदयतल से धन्यवाद.
सादर
अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार आदरणीया नीता जी..
हर एक पंक्ति यहाँ पर' षड्यंत्र ' में पगी है.. महिलाओं को लेकर पुरुष के अहम् का वर्णन लाजवाब ढंग से हुआ है . ढेरों बधाई प्रेषित है आपको इस कथा पर आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी
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