आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
दबा हुआ गुस्सा जब बेकाबू होकर बाहर आता है तो अक्सर आक्रोश का रूप ले लेता हैI आपने वैसे एक बात बहुत अच्छी कही कि इस गुस्से से उसकी माँ का हश्र क्या होगा, क्या आगे की घटना को एक कथानक बनाकर एक और लघुकथा नहीं रची जा सकती?
जी सर बिलकुल कथानक मेरे दिमाग मे आ चुका है. जल्द ही रचना मे ढालने की कोशिश करुँगी.सादर
हार्दिक आभार भाईI कमी-बेशी (कम-ज़्यादा) ही सही शब्द है भाई सतविन्द्र कुमार जी, कमी-पेशी अपभ्रंश शब्द हैI
तह-ए-दिल से शुक्रिया भाई उस्मानी जी.
हल्ला बोल
" वो देखो वो कमीना पुलिस अफसर आ रहा है पुल पर उसकी गाडी देखी है , उसको इस पार नहीं आने देना है | " भीड़ में से किसी ने आवाज़ लगायी |
यह सुनते ही भीड़ ने आस पास इक्कठे किये हुए टायर उठाये और उन्हें जला दिया| और एक आदमी ने उनकी जीप को ही जला दी | पुलिस अफसर कुछ ही पल में जलता हुआ दुनिया को छोड़ने पर मजबूर हो गया |
यह भीड़ थी , उनमे आक्रोश था , हिन्दू मुस्लिम सभी भाई भाई की तरह रहने वाले लोग थे | पर राजनीती के चलते इस अफसर ने जो कृत्य किया था उसे कैसे कोई माफ़ करता , दंगे भड़क उठे , पत्थर बाजी , लठबाजी , तलवारे चल गयी | मुस्लिम लोगो को यह कहा गया था की किसी हिन्दू ने कुरान पाक एक एक पन्ना गली में फेंक दिया है | और यह सुनते है लोगों की भीड़ और तलवारे निकल पड़ी , फिर क्या था हर तरफ मौत का खेल शुरू हो गया | देखते ही देखते लाशें ही लाशें |
लोगों का यह रुख वहीँ करीब के एक मस्जिद में मौलवी साहब को भी पता चली , उन्होंने जल्दी जल्दी यह ऐलान करवाया कि यह खूनी खेल खत्म करें , उन्होंने सभी हिन्दू और मुस्लिम भाइयों से कहा कि असल में यह कृत्य उसी पुलिस अफसर का था |
इस कृत्य कि सजा तो उसको मिलनी ही थी | राजनीति का खेल खेला जा चुका था पर लोगों का एकता से हल्ला बोल करना राजनीति पर हावी हो चुका था |
.
मौलिक एवं अप्रकाशित
प्रदत्त विषय को परिभाषित करती हुई अच्छी लघुकथा कही है आ० कल्पना भट्ट जीI बधाई स्वीकारेंI
धन्यवाद सर | यह प्रयास आपको पसंद आया सार्थक हुई कथा | प्रणाम सर |
सचमुच अगर समाज में चेतना आ जाए तो इन उकसाए गए दंगों से बचा जा सकता है! बेहतरीन शिक्षाप्रद हुई है यह लघुकथा !
धन्यवाद् आदरणीय जवाहर लाल जी |
आ.कल्पना जी अंतिम क्षणों मे आई आपकी सार्थक रचना के लिये बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |