आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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यही बात मैं भी कहना चाहता हूँ आदरणीय उस्मानी साहब, बहुत ही सुन्दर प्रवाहमय प्रस्तुति हुई है! अब योगराज सर के बारे मैं क्या टिप्पणी करूँ ... सर्वोत्तम ! सादर!
काश ! युवक की सोच , सभी के विचारों को संक्रमित कर डाले . नमन सर
लघु कथा गोष्ठी का आगाज़ करने के लिए हार्दिक बधाई आद० योगराज जी|
बदलाव को एक कदम की जरूरत होती है फिर कदम से कदम मिलते जाते हैं काश ऐसे युवक हिम्मत करें पहल करने की तो देश को एक अच्छा समाज मिले ऐसी हिम्मत की जरूरत है |लघु कथा का अंत बहुत प्रेरणा दायी है बहुत- बहुत बधाई आद० योगराज जी |
शिक्षा का सही अर्थ इस युवक ने सार्थक किया ,हमेशा ऐसा नहीं हो पाता ,एक सार्थक रचना से गोष्ठी का फीता काटने के लिए आपको हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय योगराज प्रभाकर जी
शब्द दर शब्द पाठक की कथा में बढती दिलचस्पी और कथा में बताया गया घटनाक्रम साक्षात् सामने नजर आ रहा हो, इससे बढकर एक रचना की सफलता क्या हो सकती है..... कथा का अंत पाठक को एक दम से चरम सीमा पर लेजाकर छोड़ देता है और पाठक खुद ही कथा में दिए गए सन्देश और विषय से स्वयं को जुड़ा हुआ पाता है..... विषयाधारित इस लजवाब कथा के लिए मेरी और से हार्धिक बधाई स्वीकार करे आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी ... सादर
मोहतरम जनाब योगराज साहिब , प्रदत्त विषय को प्रतिभाषित करती तथा सीख देती हुई सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
जनाब योगराज प्रभाकर साहिब आदाब,मुझे ऐसा लगता है कि आपके पास ज़रूर परकोई जादुई क़लम है, जिससे आप हर विधा पर कमाल करते रहते हैं । बहुत बढ़िया लगी आपकी लघुकथा ये कहना तो औपचारिकता कहा जायेगा,कमाल कमाल और कमाल बस यही एक शब्द है जो लघुकथा पढ़ने के बाद मेरे दिमाग़ में गूंज रहा है, कथानक को क्या खूबसूरत मोड़ दिया है, और पञ्च लाइन का तो जवाब ही नहीं,बहुत कुछ सीखने को भी मिला,मेरी तरफ़ से ढेरो बधाई इस शानदार प्रस्तुति।
कहावत है "बाप का कर्ज बेटा उतारता है" आपकी रचना इस बात को प्रतिपादित कर रही है ! बहुत सुन्दर भाव है रचना में | बधाई स्वीकार करें आदरणीय योगराज प्रभाकर जी |
सादर
हर बार की तरह इस बार भी गजब ही गजब... विषय से लेकर अंत तक सिर्फ गजब... बधाई कबूल फरमाएं
बहुत अच्छी कहानी आ० सम्पादक महोदय
ऐसा विवेक जो सही और गलत का भेद भी जाने और सही को कर गुजरने का साहस भी दे...अवश्य ही कलंक को धोने में समर्थ होता है. प्रायश्चित के इर्दगिर्द बुनी गयी सुंदर सशक्त लघुकथा पर बधाई स्वीकार करें.
सादर.
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