आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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बढ़िया कथा हेतु बधाई आदरणीय बबीता जी ।
प्रायश्चित -( लघुकथा ) -
" भाई रौनक सिंह जी, आप बुरा ना माने तो एक बात पूछना चाहता था"!
" ओये यार सुखपाल, कैसी गैरों वाली बात कर दी! तू तो मेरे घर का बंदा है! बोल क्या पूछना है"!
" भाई जी , आप तो खुद फ़ौज़ में रहे हो! वहां की सब परेशानियों को झेल चुके हो! फिर भी आपने अपने चारों बेटों को फौज में झौंक दिया! और उनमें से दो तो शहीद भी हो गये"!
"ओये सुख्खी, तू ये क्या किस्सा ले कर बैठ गया! क्यों मेरे जख्मों पर नमक लगा रहा है"!
"मैं कुछ समझा नहीं भाई जी"!
"बच्चों को फ़ौज में भेजने का फैसला मेरा नहीं था! यह मेरी घरवाली ने निर्णय लिया था"!
"इसकी कोई खास वज़ह थी क्या"!
"हाँ भाई, खास वज़ह थी ! मेरी घरवाली बहुत सुंदर थी! मैं फ़ौज में उसकी जुदाई बरदाश्त नहीं कर पाया और फ़ौज छोड़ कर चला आया! मेरी घरवाली को यह बड़ा नागवार लगा! वह गुस्सा होकर अपने मायके चली गयी"!
"उसका कहना था कि मुझे आप पर कितना गर्व था! मैं पूरे गाँव में हर किसी को बड़े रौब से बोलती थी कि मैं एक बहादुर फ़ौजी की घरवाली हूं! मगर आप तो डरपोक निकले"!
"मैंने बहुत समझाया कि मैंने फौज वहाँ के कठोर और अनुशासित जीवन की वजह से नहीं छोड़ी थी! उसके माँ बाप ने भी समझाया! लेकिन वह अपनी ज़िद पर अडिग थी! वह एक ही शर्त पर वापस आने को राजी हुई! वह बोली कि आपको अपनी भूल का प्रायश्चित करना होगा! हमारे जितने भी बेटे होंगे, सब फ़ौज में जायेंगे"!
मौलिक व अप्रकाशित
//बड़े रौब से बोलती थी कि मैं एक बहादुर फ़ौजी की घरवाली हूं! मगर आप तो डरपोक निकले"//! वाह सुन्दर कथानाक बुना है आपने ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय तेजवीर जी
हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा जी!
बहुत अच्छी लघु कथा लिखी आद० तेजवीर सिंह जी ,जिस खूबी की वजह से नाईका ने शादी की थी फ़ौज में नौकरी उसे ही छोड़ दिया तो पत्नी के सपने तो टूटेंगे ही | अपने बेटों को फ़ौज में भेज कर पति की गलती का प्रायश्चित किया |
बहुत बहुत बधाई आपको |
हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी!
हार्दिक आभार आदरणीय बबिता जी!
हार्दिक आभार आदरणीय वीर मेहता जी!
अच्छी लघुकथा है आ० तेजवीर सिंह जी, बधाई प्रेषित हैI संवादात्मक शैली इस कथा के भाव को पूरी तरह उभार नहीं पाई है, विवरण भी साथ होता तो पात्रों के मनोभाव बेहतर तरिके से उभरतेI
हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी! आपकी महत्वपूर्ण सलाहों का स्वागत और सम्मान करता हूं!
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